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झारखंड: संथाल आदिवासियों को लालच देकर धर्म परिवर्तन कराने की कोशिश

एक धर्म विशेष की तरफ से पाकुड़, साहेबगंज व गोड्डा क्षेत्र में धार्मिक गतिविधियां चलाई जाएंगी. इसमें शामिल होने के लिए बड़े धार्मिक नेता केरल से संथाल परगना पहुंचे हैं.  रिपोर्ट के मुताबिक केरल से आए धर्मगुरू लिट्टीपाड़ा, अमड़ापाड़ा, बरहेट, गोड्डा के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले पहाड़िया आदिम जनजाति और दूसरे जनजातीय समुदाय के लोगों के बीच घूम-घूमकर अपने धर्म का प्रचार-प्रसार करेंगे.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
धरमबीर सिन्हा
  • रांची,
  • 23 फरवरी 2018,
  • अपडेटेड 5:40 PM IST

झारखंड की खुफिया एजेंसी ने राज्य सरकार को आगाह करते हुए एक रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें कहा गया है कि एक समुदाय विशेष संथाल परगना में रहने वाले आदिवासियों को लालच देकर धर्म परिवर्तन कराने की कोशिश में है. खुफिया विभाग की रिपोर्ट के बाद राज्य सरकार हरकत में आई और संथाल परगना में आने वाले सभी जिलों के उपायुक्त और एसपी को इसकी सूचना जारी करते हुए एहतियात बरतने के लिए कहा है. ये सूचना पाकुड़, साहिबगंज जिले को भेजी गई है.

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20 से 25 फरवरी तक चलेगा कार्यक्रम

इस समारोह में एक धर्म विशेष की तरफ से पाकुड़, साहेबगंज और गोड्डा क्षेत्र में धार्मिक गतिविधियां चलाई जाएंगी. इसमें शामिल होने के लिए बड़े धार्मिक नेता केरल से संथाल परगना पहुंचे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक केरल से आए धर्मगुरू लिट्टीपाड़ा, अमड़ापाड़ा, बरहेट, गोड्डा के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले पहाड़िया आदिम जनजाति और दूसरे जनजातीय समुदाय के लोगों के बीच घूम-घूमकर अपने धर्म का प्रचार-प्रसार करेंगे. गौरतलब है कि झारखंड में मुख्य तौर पर 21 जनजाति पाई जाती हैं, जिनमें से 14 जनजातीय और बाकी 7 आदिम जनजाति के तौर पर जाने जाते हैं.

सरकार ने बनाया पहाड़िया जनजाति बटालियन

राज्य सरकार ने संथाल परगना के आदिवासी और जनजातीय बेरोजगार युवकों के लिए बीते साल पहाड़िया बटालियन का गठन भी किया है, जिसमें नियुक्तियां हो भी रही हैं, दरअसल सरकार के इस कदम को एक राजनीतिक चाल के तौर भी देखा जा रहा है, जिससे बीजेपी इन इलाकों में अपनी पैठ बना सके.

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गौरतलब है कि परंपरागत तौर पर यह इलाका झारखंड मुक्ति मोर्चा का गढ़ माना जाता है. जहां बीजेपी अब अपना जनाधार बढ़ाने में जुटी है. आंकड़ों की बात करें तो प्रदेश में पहाड़िया जनजाति की आबादी लगातार घटी है. जहां 1901 में इनकी आबादी साढ़े तीन लाख थी वो अब घटकर एक लाख के करीब रह गई है. इसके पीछे धर्मान्तरण भी एक प्रमुख कारण बताया जाता है.

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