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झारखंडः सूबे में गहरा रहा भाषा का विवाद, CM हेमंत सोरेन, सांसद और विधायक की 'शवयात्रा' निकाली, 11 लोगों ने कराया मुंडन

झारखंड भाषा संघर्ष समिति ने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत धनबाद में राज्य सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया. उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और स्थानीय विधायकों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. इस दौरान सैकड़ों महिला-पुरुष ढोल नगाड़ों और झारखंडी नृत्य किया.

 धनबाद में झारखंड भाषा संघर्ष समिति आंदोलन कर रही है धनबाद में झारखंड भाषा संघर्ष समिति आंदोलन कर रही है
सिथुन मोदक
  • धनबाद ,
  • 04 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 11:50 PM IST
  • भोजपुरी, मगही और अंगिका भाषा पर मचा बवाल
  • भोजपुरी, मगही और अंगिका भाषा पर है विवाद

झारखंड में क्षेत्रीय भाषा की मान्यता को लेकर राज्य में जारी विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है. इसके तहत धनबाद में झारखंड भाषा संघर्ष समिति आंदोलन कर रही है. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने जिले के विधायक और सांसद के साथ मंत्रियों की शवयात्रा निकली गई. इतना ही नहीं प्रदर्शन करने वाले लोगों ने सड़क पर मुंडन करवाया. विवाद तब शुरू हुआ, जब झारखंड सरकार ने नियोजन में भोजपुरी, मगही और अंगिका भाषा को शामिल कर लिया.

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क्षेत्रीय भाषाओं को झारखंड सरकार की ओर से नियोजन में शामिल किए जाने के बाद से ही जबरदस्त विरोध हो रहा है. झारखंड भाषा संघर्ष समिति ने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत धनबाद में राज्य सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया. इस दौरान सैकड़ों की तादाद में प्रदर्शन कर रहे लोग पारंपरिक हथियारों के साथ रणधीर वर्मा चौक पहुंचे.

धनबाद में झारखंड भाषा संघर्ष समिति आंदोलन कर रही है

यहां पर प्रदर्शनकारियों ने झारखंड की भाषा के समर्थन में नारे लगाए. इसके अलावा उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और स्थानीय विधायकों के खिलाफ भी जमकर नारेबाजी की. इस दौरान सैकड़ों महिला-पुरुष ढोल नगाड़ों और झारखंडी नृत्य किया. संघर्ष समिति खतियान आधारित नियोजन नीति और 1932 का खतियान राज्य में लागू करने की मांग कर रही है.

प्रदर्शनकारियों ने जिले के 6 विधायक और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, धनबाद सांसद पशुपतिनाथ सिंह सहित सभी मंत्री की शवयात्रा निकाली. शवयात्रा के बाद 11 लोगों ने मुंडन भी कराया. झारखंड में भाषा विवाद को लेकर झारखंड भाषा संघर्ष समिति के सदस्यों ने राज्य सरकार से भोजपुरी, मगही, अंगिका भाषा को नियोजन नीति से हटाने की मांग की. 

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