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झारखंड बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष बने लक्ष्मण गिलुआ

राजनीति में शुचिता का परचम उठाने का दावा करने वाली बीजेपी झारखंड में हो रहे घटनाक्रम पर पैनी नजर गड़ाए हुए थी और विवाद गहराता देख पार्टी को फजीहत से बचाने के लिए कड़े फैसले लेने को तैयार थी.

अनुसूचित जनजाति के हैं गिलुआ अनुसूचित जनजाति के हैं गिलुआ
लव रघुवंशी/धरमबीर सिन्हा
  • रांची,
  • 25 अगस्त 2016,
  • अपडेटेड 12:19 AM IST

लक्ष्मण गिलुआ झारखंड बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए हैं. पश्चिम सिंघभूम के बीजेपी सांसद लक्ष्मण गिलुआ को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेवारी दिए जाने पर मुख्यमंत्री रघुवर दास ने बधाई दी. मुख्यमंत्री ने कहा की उनके नेतृत्व में पार्टी नई ऊचाइयों को छुएगी.

अनुसूचित जनजाति के गिलुआ 54 साल के हैं और इनकी शैक्षणिक योग्यता उच्च माध्यमिक है. गौरतलब है की बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ताला मरांडी की अपने बेटे के नाबालिग के साथ विवाह के मामले में बुरी तरह घिर जाने के कारण कुर्सी खतरे में आ गई थी और बीजेपी को नए आदिवासी चेहरे की तलाश थी.

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मरांडी के लिए कुर्सी बचाना मुश्किल था
राजनीति में शुचिता का परचम उठाने का दावा करने वाली बीजेपी झारखंड में हो रहे घटनाक्रम पर पैनी नजर गड़ाए हुए थी और विवाद गहराता देख पार्टी को फजीहत से बचाने के लिए कड़े फैसले लेने को तैयार थी. दरअसल प्रदेश अध्यक्ष के बेटे के विवाद में फंसने की वजह से प्रदेश में बीजेपी की भारी किरकिरी हो रही थी. जहां एक ओर प्रदेश के विपक्षी दल इस घटना के विरोध में लामबंद हो गए थे, वहीं यह खबर गलत वजहों से राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां भी बटोर रही थी. ऐसे में ताला मरांडी के लिए अपनी कुर्सी बचाना बेहद मुश्किल हो गया था. दूसरी तरफ इस घटना की वजह से बीजेपी शासित इस राज्य में प्रधानमंत्री मोदी के महत्वकांक्षी 'बेटी बचाव-बेटी पढ़ाओ' मुहिम को भी झटका लगा था.

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संथाल परगना से नहीं मिला नया नेता
वैसे पार्टी चाहती थी की संथाल परगना से ही किसी आदिवासी नेता को ये जिम्मेवारी दी जाए. इस सिलसिले में राज्य के बाल विकास कल्याण मंत्री लुइस मरांडी का नाम भी उछला था, लेकिन बताया जाता है की लूइस इसके लिए तैयार नहीं हुई. दरअसल झामुमो का गढ़ कहे जाने वाले संथाल परगना में बीजेपी कमजोर है, बावजूद इसके गुटबाजी और खींचतान की वजह से पार्टी को इस इलाके से कोई आदिवासी चेहरा नहीं मिल पाया. चूंकि राज्य में गैर आदिवासी मुख्यमंत्री है, इस वजह से पार्टी को एक अदद आदिवासी नेता की जरुरत थी, और लक्ष्मण गिलुआ फिट हो गए.

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