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नेशनल शूटर तारा शाहदेव मामला: कोर्ट ने रंजीत कोहली समेत तीन को दोषी करार दिया

सीबीआई ने 2015 में मामला टेक ओवर किया था. नेशनल शूटर तारा ने जुलाई 2014 में यौन उत्पीडन, दहेज़ उत्पीड़ीन और धर्म परिवर्तन के लिए उत्पीड़न का आरोप लगाया था. 2018 में चार्जशीट स्पेशल सीबीआई कोर्ट में दाखिल किया गया था. लव जिहाद से जुड़ा ये मामला देश भर में सुर्खियों में रहा था.

कोर्ट ने रंजीत कोहली समेत तीन को दोषी करार दिया कोर्ट ने रंजीत कोहली समेत तीन को दोषी करार दिया
सत्यजीत कुमार
  • रांची,
  • 30 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 4:14 PM IST

रांची के स्पेशल सीबीआई कोर्ट के विशेष न्यायाधीश पीके शर्मा की अदालत ने नेशनल शूटर तारा शाहदेव से जुड़े केस में अपना फैसला सुना दिया है. सभी पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने 23 सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. कोर्ट ने इस केस में ट्रायल फेस कर रहे तीनों आरोपियों रंजीत कोहली उर्फ रकीबुल हसन, हाईकोर्ट के बर्खास्त पूर्व रजिस्ट्रार (विजिलेंस) मुश्ताक अहमद और कोहली की मां कौशल रानी को दोषी करार दिया. 

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सीबीआई ने 2015 में मामला टेक ओवर किया था. नेशनल शूटर तारा ने जुलाई 2014 में यौन उत्पीडन, दहेज़ उत्पीड़ीन और धर्म परिवर्तन के लिए उत्पीड़न का आरोप लगाया था. 2018 में चार्जशीट स्पेशल सीबीआई कोर्ट में दाखिल किया गया था. लव जिहाद से जुड़ा ये मामला देश भर में सुर्खियों में रहा था.

क्या है मामला
तारा शाहदेव ने रंजीत सिंह कोहली पर धोखा देकर शादी करने का आरोप लगाया था. दोनों की शादी 7 जुलाई 2014 को हुई थी. शादी के बाद तारा शाहदेव को पता चला कि रंजीत सिंह कोहली पहले ही अपना धर्म बदलकर इस्लाम धर्म कबूल कर चुका था और उसने अपना नाम रकीबुल हसन रख लिया था. 

तारा शाहदेव से शादी के बाद रंजीत उर्फ रकीबुल उस पर इस्‍लाम धर्म कबूलने का दबाव बनाने लगा. पुलिस में दर्ज कराए गए मामले के मुताबिक, ऐसा नहीं करने पर उसकी पिटाई की जाती थी और कुत्ते से भी कटवाया जाता था. 

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तारा शाहदेव के मुताबिक, कई-कई दिनों तक उसे खाना भी नहीं दिया जाता था. रकीबुल और उसकी मां दोनों तारा को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया करते थे. साथ ही धमकी दी जाती थी कि अगर वह चाहती है कि उसकी शादीशुदा जिंदगी खुशहाल रहे तो वह इस्लाम कबूल कर ले. 

तारा को चेतावनी थी कि वह 'सिंदूर' न लगाए नहीं तो उसके हाथ तोड़ दिए जाएंगे. ससुराल वालों की ओर से दहेज की भी मांग की गई. तारा के भाई के आने के बाद उसको मुक्त कराया गया था.

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