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पेट्रोल पर VAT कम करने के मूड में नहीं झारखंड सरकार, PM मोदी के तोहफे को बताया चुनावी हथकंडा

केंद्र सरकार के पेट्रोल और डीज़ल के दाम घटाने पर राजनीति शुरू हो गयी है. गैर बीजेपी शासित प्रदेशो में अब बीजेपी ये आवाज़ उठाने लगी है कि केंद्र ने राहत देकर एक कदम बढ़ाया है, तो राज्य सरकारों को भी VAT में कमी करके जनता को सहूलियत देनी चाहिए.

सांकेतिक तस्वीर (पीटीआई) सांकेतिक तस्वीर (पीटीआई)
सत्यजीत कुमार
  • रांची,
  • 05 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 8:15 PM IST
  • पेट्रोल के दाम को लेकर झारखंड में राजनीति शुरू
  • पेट्रोल पंप ओनर और जनता की मांग, घटाया जाए वैट

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दीपावली पर देशवासियों को राहत का तोहफ़ा दिया है, जिसे बीजेपी दीवाली गिफ़्ट मान रही है. ज़ाहिर है महंगाई की मार झेल रहे लोगों को पेट्रोल 5 रुपये और डीजल 10 रुपये तक कम किए जाने से राहत मिली है. लेकिन इस मुद्दे पर राजनीति भी शुरू हो गई है. गैर बीजेपी शासित प्रदेशों में अब बीजेपी ये आवाज उठाने लगी है कि केंद्र ने राहत देकर एक कदम बढ़ाया है, तो राज्य सरकारों को भी VAT में कमी करके जनता को सहुलियत देनी चाहिए. पेट्रोल पंप ओनर और जनता भी मांग करने लगी है कि वैट को घटाया जाए.

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VAT कम किए जाने की मांग

केंद्र के फैसले पर झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और सह भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुबर दास ने प्रधानमंत्री के इस फैसले का स्वागत किया है. रघुबर दास ने राज्य के मुख्यमंत्री से मांग की है कि वह भी राज्य में टैक्स को कम करें जिससे लोगों को फायदा मिल सके. प्रधानमंत्री मोदी के फैसले के बाद, बीजेपी शासित सभी राज्यों में टैक्स कम किया गया. जिससे जनता की परेशानी कहीं ना कहीं कम हुई है. 

प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने राज्य सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि झारखंड सरकार वैट में कमी नहीं करके जनता के साथ धोखा कर रही है. भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि जिस तरह केंद्र सरकार ने एक्साइज ड्यूटी में कमी की है, उसी तरह झारखंड सरकार को भी वैट में कमी कर जनता को राहत देनी चाहिए.

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पेट्रोल के दाम घटाना चुनावी हथकंडा?

इस मुद्दे पर राज्य सरकार कहती है कि बीजेपी सिर्फ़ स्टंट कर रही है. चुनावी हथकंडा अपना रही है ताकि UP में उसे झटका न लगे. हिमाचल में जिस तरह उसे झटका लगा है, बीजेपी सोचने पर मजबूर हो गई है. लिहाज़ा बीजेपी को चुनावों में ऐसी दस और ठोकर जनता से मिलनी चाहिए, ताकि वो वाकई जनहित में सोचे. राज्य के पेयजल और स्वच्छता मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा है कि यह केंद्र सरकार का चुनावी एजेंडा है. वह कहते हैं कि ऐसा क्या हुआ है कि इन्हें पेट्रोल और डीजल के दाम कम करने पड़े. उत्तर प्रदेश के चुनाव खत्म होते ही फिर से दाम बढ़ जाएंगे. जनता देख रही है और जनता सब जानती है. 

हालांकि वैट कम करने पर उनका कहना है कि राज्य सरकार के सारे स्रोत सीमित कर दिए गए हैं और राज्य बहुत सीमित संसाधन में चल रहा है. ऐसे में, अगर पेट्रोल और डीजल के दाम कम करने होंगे तो उस पर विचार किया जाएगा. यानी साफ है कि फिलहाल सरकार का ऐसा कोई इरादा नहीं है.

हालांकि झारखंड के लोग चाहते हैं कि VAT में कमी हो. पेट्रोलियम डीलर भी कहते हैं कि VAT कम होगा तो राज्य सरकार का राजस्व भी बढ़ेगा. उन्हें दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. पड़ोसी बीजेपी शासित प्रदेशों में पेट्रोल के दाम कम होंगे, तो वाहन मालिक बड़ी गाड़ियों की रीफ्यूलिंग वहीं से करवा लेंगे. यहां के डीलर्स को और भी कई तरह के नुकसान झेलने पड़ रहे हैं. 

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वैसे झारखंड की तरह छत्तीसगढ़ सरकार भी इसे चुनावी हथकंडे के तौर पर देख रही है. सीएम भूपेश बघेल ने इसे लॉलीपॉप करार दिया है. वे कहते हैं कि अगर एनडीए सरकार भी यूपीए की तर्ज पर एक्साइज ड्यूटी को सीधे 30 रुपये से 9 रुपये कर दे, तो दाम जरूर कम हो सकते हैं. लेकिन अगर पहले 30 रुपये बढ़ाए जाएं और फिर पांच कम कर दिए जाए, ऐसे में महंगाई पर कोई असर नहीं पड़ने वाला.

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