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झारखंड में जारी है सरकार का विरोध, कांग्रेसियों ने किया विधानसभा का घेराव

रांची का बिरसा चौक इलाका बुधवार को दिन भर रणक्षेत्र बना रहा. कांग्रेसियों को रोकने के लिए पुलिस को भारी जद्दोजहद का सामना करना पड़ा. इस दौरान हल्का लाठी चार्ज और पानी की बौछार भी की गई. घेराव की अगुवाई झारखंड कांग्रेस के प्रभारी आर पी एन सिंह और राष्ट्रीय प्रवक्ता अजय कुमार कर रहे थे.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
धरमबीर सिन्हा
  • रांची,
  • 09 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 7:34 PM IST

झारखंड विधानसभा में बुधवार को लगातार दूसरे दिन विपक्ष ने जमकर हंगामा किया. विपक्ष ने कैबिनेट द्वारा पास किए गए धर्मांतरण और भूमि अर्जन बिल का जोरदार विरोध करते हुए सदन की कार्यवाही ठप्प करा दी. हालांकि इस दौरान स्पीकर ने विपक्ष के रवैये पर आपत्ति जताते हुए कड़े फैसले लेने की चेतावनी भी दी.

सदन की संक्षिप्त कार्रवाई के दौरान स्पीकर ने सीएनटी-एसपीटी संशोधन विधेयक के वापस राजभवन से लौटाए जाने की सूचना से विधानसभा को अवगत कराया. वहीं सदन के बाहर कांग्रेसियों ने इन्हीं मुद्दों को लेकर विधानसभा का घेराव करने का प्रयास किया. जिसे रोकने के लिए पुलिस को कड़ी मशक्कत का सामना करना पड़ा. जिसकी वजह से विधानसभा के आसपास का इलाका रणक्षेत्र बना रहा.

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सरकार का विरोध सड़क से लेकर सदन तक

रांची का बिरसा चौक इलाका बुधवार को दिन भर रणक्षेत्र बना रहा. कांग्रेसियों को रोकने के लिए पुलिस को भारी जद्दोजहद का सामना करना पड़ा. इस दौरान हल्का लाठी चार्ज और पानी की बौछार भी की गई. घेराव की अगुवाई झारखंड कांग्रेस के प्रभारी आर पी एन सिंह और राष्ट्रीय प्रवक्ता अजय कुमार कर रहे थे.

विधानसभा नहीं जाने देने पर आर पी एन सिंह ने कहा कि बीजेपी की सरकार कांग्रेस के अंगड़ाई लेने भर से डर गई है. अभी तो विरोध शुरू हुआ है. विधानसभा घेराव के मद्देनजर विधानसभा जाने वाले हर रास्ते पर एहतियातन बैरिकेडिंग की गई थी.

आम जनता को हुई भारी परेशानी

दरअसल झारखंड के विपक्षी दल खासकर कांग्रेस CNT-SPT संशोधन बिल, किसानों की आत्महत्या, भूमि अधिग्रहण बिल जैसे मुद्दे पर सरकार का जमकर विरोध कर रहे हैं. जिसे लेकर वह सरकार को सदन से लेकर सड़क तक घेरने में लगी है. कांग्रेस के द्वारा घेराव के कारण बुधवार को जनता को भारी कठिनाई का सामना करना पड़ा. एहतियातन पुलिस ने कई रास्तों से ट्रैफिक डाइवर्ट कर दिया था. घेराव का सबसे ज्यादा असर स्कूली बसों के परिचालन पर पड़ा.

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