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रेलवे ट्रैक पर अचनाक आ गए मवेशी, हादसे का शिकार होते-होते बची राजधानी एक्सप्रेस

झारखंड के लोहरदगा में राजधानी एक्सप्रेस ट्रेन एक हादसे का शिकार होते-होते बची. दरअसल, जब ट्रेन लोहरदगा से गुजर रही थी तभी अचानक पटरी पर मवेशी आ गए. मवेशियों को देखते ही लोको पॉयलट ने अचानक ब्रेक लगाया. जिसकी वजह से बड़ा हादसा होते-होते बचा.

Indian Railways (Representational Image) Indian Railways (Representational Image)
सत्यजीत कुमार/सतीश शाहदेव
  • रांची,
  • 12 जून 2023,
  • अपडेटेड 12:17 PM IST

झारखंड के लोहरदगा में रविवार शाम को राजधानी एक्सप्रेस हादसे का शिकार होते-होते बची. दरअसल, ट्रेन लोहरदगा स्टेशन से दो किमी आगे बढ़ी थी कि ट्रैक पर मवेशी आ गए. ट्रैक पर मवेशी देख लोको पायलट ने ब्रेक लगाकर तुरंत गाड़ी रोक दी. ट्रैक पर ट्रेन के सामने अचानक मवेशी के आने से बड़ा हादसा हो सकता था. 

150 किलोमीटर प्रति घंटा से अधिक थी ट्रेन की रफ्तार
रांची-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस रविवार शाम 6:14 में लोहरदगा से गुजरी रही थी, उसी वक्त ये घटना हुई. पशुओं को ट्रैक पर देख ट्रेन के चालक ने सूझबूझ से काम लिया. जब पशु पार हो गए तब ट्रेन आगे बढ़ी. जानकारी के मुताबिक, जिस वक्त ट्रेन रोकी गई, उस वक्त उसकी रफ्तार 150 किलोमीटर प्रति घंटा से अधिक थी. 

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हालांकि, इस बाबत रेलवे का कोई भी अधिकारी कुछ बोलने से कतरा रहा है. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, अगर लोको पायलट ने समय पर ट्रेन नहीं रोकी होती, तो बड़ी दुर्घटना हो सकती थी. रांची रेल मंडल के डीआरएम प्रदीप गुप्ता ने इस बारे में बताया कि राजधानी एक्सप्रेस के साथ ऐसी घटना हुई है, इसकी उन्हें फिलहाल जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा कि इस बारे में संबंधित लोगों से पूछताछ की जा रही है. 

बता दें, इससे पहले कई ऐसे मामले आ चुके हैं, जहां वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन से मवेशी टकरा चुके हैं. रेलवे ट्रैक पर मवेशियों के आने को लेकर आधिकारिक आंकड़ें की मानें तो अक्टूबर 2022 के पहले नौ दिनों में मवेशियों के ट्रैक पर आने से 200 ट्रेनें प्रभावित हुई हैं. साल 2022  में अक्टूबर तक 4,000 से अधिक ट्रेनें मवेशियों के चलते प्रभावित हुई हैं. वहीं इस दौरान कई मवेशियों के मौत भी हुई है.

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उत्तर मध्य रेलवे जोन में 6500 से अधिक मामले 
उत्तर मध्य रेलवे ज़ोन सबसे अधिक प्रभावित है. यहां 2020-21 में मवेशियों के टकराने के कुल 26,000 मामलों में से 6,500 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं. यह दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा कॉरिडोर के 3,000 किमी ट्रैक और मेजबान भागों को कवर करता है. इसमें आगरा, झांसी और प्रयागराज जैसे डिवीजन शामिल हैं और यहां पूर्व से चलने वाली ट्रेनें भारत के उत्तरी भागों तक जाती हैं.

अधिकारियों के मुताबिक, उत्तर रेलवे ज़ोन में सबसे अधिक मवेशियों के ट्रैक पर आने के मामले दर्ज किए गए हैं. जहां उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद और लखनऊ, पंजाब के फिरोजपुर, हरियाणा के अंबाला और दिल्ली में लगभग 6,800 मामले सामने आए हैं. पांच में से तीन वंदे भारत ट्रेनें इन दो क्षेत्रों के मार्गों से गुजरती हैं.

 

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