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झारखंड: मनरेगा में 51.29 करोड़ की वित्तीय गड़बड़ी का मामला, रिकवरी के लिए कवायद शुरू

सोशल ऑडिट में मनरेगा की योजनाओं को अमल में लाने के नाम पर गड़बड़ी की बात सामने आ रही है. राज्य में कोई जिला नहीं बचा है जहां मनरेगा की योजनाओं के पैसे न उड़ाए गए हों. सबसे ज्यादा 6.37 करोड़ की वित्तीय गड़बड़ी पलामू जिले में हुई है. दूसरे स्थान पर गढ़वा जिला है. यहां 5.93 करोड़ का हिसाब किताब नहीं मिला है.

फाइल फोटो फाइल फोटो
सत्यजीत कुमार
  • रांची,
  • 20 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 6:37 PM IST
  • झारखंड के हर जिले में मिली वित्तीय ग़ड़बड़ी
  • ऑडिट रिपोर्ट के बाद सरकार ने वसूली की शुरू

झारखंड में मनरेगा के योजनाओं का लाभ मजदूरों से ज्यादा बिचौलिए उठा रहे हैं. यह बात हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि मनरेगा की सोशल ऑडिट में ऐसे चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. सोशल ऑडिट में सामने आया है कि मनरेगा में 51.29 करोड़ की वित्तीय गड़बड़ी की गई. सरकार भी इससे इफ्तेफक रखती है और रिकवरी की कवायद भी शुरू कर दी. 

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सोशल ऑडिट में मनरेगा की योजनाओं को अमल में लाने के नाम पर गड़बड़ी की बात सामने आ रही है. राज्य में कोई जिला नहीं बचा है जहां मनरेगा की योजनाओं के पैसे न उड़ाए गए हों. सबसे ज्यादा 6.37 करोड़ की वित्तीय गड़बड़ी पलामू जिले में हुई है. दूसरे स्थान पर गढ़वा जिला है. यहां 5.93 करोड़ का हिसाब किताब नहीं मिला है. इसके बाद रामगढ़ में 4.93, गिरिडीह में 4.03, पश्चिमी सिंहभूम में 3.13 और गोड्डा में 2.88 करोड़ की वित्तीय गड़बड़ी हुई है. रांची में भी अधिकारियों, कर्मियों और सप्लायर की मिलीभगत से 2.17 करोड़ की गड़बड़ी हुई. 

ऑडिट रिपोर्ट के बाद एक्शन में आई सरकार
ऑडिट में 51.29 करोड़ की वित्तीय गड़बड़ी के खुलासे के बाद रिकवरी की कवायद जरूर शुरू हुई, लेकिन शायद दिखावे भर के लिए. इसी का नतीजा है कि अबतक सिर्फ 1.39 करोड़ ही रिकवर हो पाया है. सबसे ज्यादा गढ़वा में 78.19 लाख, हजारीबाग में 22.98 लाख, गुमला में 10.49 लाख और रांची में 9.65 लाख रिकवर हो पाया है. यह एक तरह से ऊंट के मुंह में जीरे के समान है. 

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सत्ताधारी दल झामुमो के गढ़ यानी संथाल में घोटाले के पैसों की रिकवरी की स्थिति सबसे खराब है. दुमका में 2.36 करोड़ की वित्तीय अनियमितता हुई है लेकिन इसकी तुलना में सिर्फ 1 लाख 4 हजार 208 रु. वसूले गए हैं. साहिबगंज में 2.87 करोड़ का हिसाब नहीं है. यहां सिर्फ 23,238 रुपया रिकवर हुआ है. जामताड़ा में 1.04 करोड़ की गड़बड़ी की तुलना में 4,500 रु. वसूली हुई है. देवघर में 1.04 करोड़ की जगह 400 रुपए और पाकुड़ में 1.66 करोड़ की वित्तीय गड़बड़ी की जगह एक फूटी कौड़ी भी वसूल नहीं हुई है. 24 जिलों में से 14 जिले ऐसे हैं जहां से सिर्फ 2.7 प्रतिशत राशि की वसूली की जा सकी है. 

राज्य में गड़बड़ी की 92,027 शिकायतें मिलीं
ऐसा नही है कि  मनरेगा की योजनाओं में गड़बड़ी की शिकायत विभाग को नहीं मिली. पूर राज्य में 92,027 शिकायतें सामने आई. लेकिन 38,234 मामलों पर ही एक्शन लिया गया. खास बात है कि 41.5 प्रतिशत शिकायतों पर एटीआर तो बना लेकिन 2,279 शिकायतों से जुड़ी फाइल ही क्लोज हो गई. 

 

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