
वो कहते हैं ना 'जहां चाह, वहां राह' उसी को पूरा कर दिखाया झारखंड के भेलवाघाटी गांव के दो शख्स इस्लाम मियां और डोमन मियां ने. भेलवाघाटी निवासी डोमन मियां और इस्लाम मियां के नेतृत्व में स्थानीय ग्रामीणों ने महज तीन साल में चकाई प्रखंड में स्थित दुर्गम मड़वा पहाड़ी को काटकर 4 किलोमीटर लंबा रास्ता बनाकर माउंटेन मैन दसरथ मांझी की याद ताजा कर दी.
इस नए रास्ते की बदौलत प्रखंड बोंगी, बरमोरिया स्थित लगभग 70 गांव के ग्रामीणों का मड़वा पहाड़ी से जमुई जिला मुख्यालय की दूरी घटकर महज 55 किलोमीटर ही रह गई है. पहले इन दोनों पंचायतों सहित आसपास के ग्रामीणों को भेलवाघाटी भाया चकाई होते हुए जमुई जाने के लिए 115 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती थी. जिसमें लगभग तीन घंटे लगते थे.
अब इस पहाड़ी सड़क बनने के बाद मात्र सवा घंटे में ग्रामीण साइकिल और बाइक के जरिए जमुई पहुंच जाते हैं. वहीं, डोमन मियां और इस्लाम मियां का कहना है कि उनकी एवं भेलवाघाटी के ग्रामीणों को तब सकून मिलेगा जब राज्य सरकार उन सबके द्वारा बनाये गए इस पहाड़ी रास्ते को पक्का कर दे. ताकि, इस मार्ग पर छोटे बड़े वाहनों का आना जाना शुरू हो सके एवं लोगों की परेशानी कम हो सके और लोग कम समय एवं खर्चे में कोर्ट-कचहरी, इलाज एवं अन्य जरूरी कामों के लिए जिला मुख्यालय पहुंच सकें. इस सड़क से जमुई, खैरा, सोनो के भी लोग आसानी से कम समय में गिरीडीह, कोडरमा आदि शहर आ-जा सकेंगे.
इस्लाम मियां और डोमन मियां बताते हैं कि उन्होंने सुना था कि बिहार के गया निवासी दशरथ मांझी द्वारा अकेले दम पर वर्षों की मेहनत से पहाड़ को काटकर रास्ता बनाया गया था. उसी महान व्यक्ति से प्रेरणा लेते हुए और स्थानीय लोगों की परेशानी को देखते हुए उन्होंने जंगल में पशु चराने के दौरान मड़वा पहाड़ी को काटकर रास्ता बनाने का निर्णय लिया और 2017 से इस सड़क निर्माण अभियान में छेनी, हथौड़ा लेकर जुट गए. उसके बाद स्थानीय ग्रामीणों ने भी इस काम में जोर-शोर से साथ दिया. जिस कारण तीन साल में मड़वा पहाड़ी से सोनो के रजोन तक लगभग 4 किलोमीटर पहाड़ी सड़क बनकर तैयार हो गई. वहीं, इस सड़क के निर्माण से स्थानीय ग्रामीणों की परेशानी दूर हुई.
नक्सल प्रभावित इलाका होने के कारण लोग विकास से वंचित
चकाई प्रखंड का यह इलाका अति नक्सल प्रभावित इलाका माना जाता है जिस कारण बोंगी एवं बरमोरिया के ग्रामीण विकास की रोशनी से कोसों दूर हैं. बोंगी एवं बरमोरिया के जंगल से सटे इस जंगली इलाके में बिजली, पानी, एवं पक्की सड़क का घोर अभाव है. जबकि इन दोनों पंचायतों में बसे लगभग 50 गांवों में आदिवासियों की आबादी 70 प्रतिशत है. मड़वा सहित आसपास गांव के ग्रामीण इस सड़क को वरदान के रूप में मानते हैं तथा इसके लिए इस्लाम मियां, डोमन मियां सहित भेलवाघाटी के ग्रामीणों को दिल से दुआ देते हैं.
इनपुट: जयप्रकाश कुमार