
झारखंड के गोड्डा ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान बनाई है. झारखंड के गोड्डा के हुनरमंद अब मेटालिक थ्रेड की कारीगरी से अमेरिका, इंग्लैंड समेत देश दुनिया के अन्य देशों की सेना की वर्दी सजाएंगे. सुनने में थोड़ा अजीब जरूर लगे लेकिन है यह सोलह आने सच गोड्डा ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी एक नई पहचान बना ली है. यहां के पिछड़े और अल्पसंख्यक बहुल बसंतराय प्रखंड के रेसंबा गांव में केंद्र की स्फूर्ति योजना के तहत देश के पहले एंब्रॉयडरी केंद्र की शुरुआत की गई है यहां बैज और एंब्रॉयडरी दोनों का प्रोडक्शन होगा.
केंद्र सरकार की ओर से बनाए गए कलस्टर की एक कंपनी यहां से एंब्रॉयडरी और अन्य उत्पादों का निर्यात करने की तैयारी कर रही है. भारत सरकार के लघु और कुटीर उद्योग मंत्रालय की ओर से इन कारीगरों के स्किल को गांव में ही बढ़ाने की शुरुआत हो चुकी है. कारीगरों को तकनीकी सुविधा उपलब्ध कराने के साथ ही इनके उत्पाद अब अमेरिका, यूरोप समेत पूरे दुनिया मे पहुंचाने के भी प्रयास किये जा रहे हैं.
पहले इन कारीगरों के उत्पाद को बिचौलिए औने-पौने दाम में खरीदकर बाहर के बाजार में मंहगी कीमत पर बेच दिया करते थे. अब बिचौलियों की जगह देश-दुनिया के बाजारों में उपलब्ध कराने के उद्देश्य से रेसंबा गांव में क्लस्टर बनाने का निर्णय लेते हुए एक सेंटर का भूमि पूजन किया गया है. गिरमिटिया मजदूरों की तर्ज पर दिल्ली आदि जगहों पर कमाने गए गांव के लोगों ने पहले एम्ब्रॉयडरी सीखी. वक्त के साथ ये अपने गांव लौट आए लेकिन इस कला को नहीं भुलाया.
मजबूत होगी अर्थव्यवस्था- सुशील बरियार
बन रहे कॉमन फैसिलिटी सेंटर और शिल्पकारों के नोडल ऑफिसर सुशील बरियार ने बताया कि सेंटर बनने से शिल्पकारों की घर वापसी होगी .जो बाहर महानगरों में हैं वे वापस गांव आएंगे. खेती गृहस्थी भी बढ़ेगी और आमदनी भी बढ़ जाएगी. कोरोना के इस पीरियड में जो मुश्किलें आई थी वह दूर होंगी. शिल्पकारों का कॉन्फिडेंस लेवल भी बढ़ेगा. यह योजना सबके लिए है. शिल्पकारों को देखकर सभी सीखेंगे और शिल्पकार बढ़ेंगे. हम इन्हें कैपिटल, कॉमर्स टेक्निकल विंग्स से पूरी सहायता करेंगे.
फिलहाल बसंतराय के रेसंबा गांव में करीब 2 करोड़ 36 लाख की लागत से एक क्लस्टर बनाया जा रहा है. इसमें 90 फीसदी योगदान केंद्र और 10 फीसद राज्य का होगा. इस दस फीसदी में भी आधा राज्य और आधा स्थानीय शिल्पकार वहन करेंगे. अब वह दिन दूर नहीं जब गोड्डा के एक बेहद गुमनाम से गांव के उत्पाद की धूम दुनिया में मच जाएगी. यदि यह प्रयास सफल हुआ तो दुनिया की महाशक्ति संयुक्त राज्य अमेरिका के केंद्र व्हाइट हाउस और कभी पूरी दुनिया पर राज करने वाले इंग्लैंड के एलिजाबेथ गैलरी के सिक्योरिटी अफसरों की वर्दी पर भी गोड्डा का बैज सजा होगा.
(गोड्डा से संतोष भगत का इनपुट)