Advertisement

रांची में योग को लेकर जमकर तैयारियां, पानी में घंटों योगासन कर सुर्खियों में ये शख्स

बचपन से ही सुरेश को तैरने का जुनून था और इस जुनून ने उन्हें पानी में योगा करने को प्रेरित किया. जिसके बाद उन्होंने लगातार कड़ी मेहनत कर पानी में योगासन करने में सफल हुए. घंटो पानी मे बिना कोई हरकत किए ये रह सकते हैं. और तो और पानी में ही योग की मुद्रा में भी रह सकते हैं.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
धरमबीर सिन्हा/देवांग दुबे गौतम
  • रांची,
  • 20 जून 2018,
  • अपडेटेड 11:07 PM IST

देशभर में 21 जून को विश्व योग दिवस मनाए जाने की तैयारी जोर शोर से चल रही है. वहीं रांची में भी इसके लिए तैयारियां अपने अंतिम चरण पर है. गुरुवार को सूबे के मुख्यमंत्री रघुवर दास और वरिष्ठ बीजेपी नेता और राज्यसभा सांसद मुख्तार अब्बास नकवी यहा योग करते नजर आएंगे. वैसे रांची में योग प्रतिभाओं की कमी नहीं है.

Advertisement

रांची का एक युवक गहरे तालाब में घंटो योगासन कर चर्चा में है तो वहीं डोरंडा इलाके की एक मुस्लिम लड़की योग की वजह से कट्टरपंथियों के निशाने पर है.

पानी में कई घंटे तक योगासन करने वाले सुरेश कुमार महतो पेशे से पशु चिकित्सक हैं. सुरेश रांची के गेतलसूद इलाके के रहने वाले हैं. लेकिन इनकी पहचान पशु चिकित्सक से नहीं है, बल्कि गहरे पानी में बिना सहारे के कई घंटे तक योग करने की वजह से है.

बचपन से ही सुरेश को तैरने का जुनून था और इस जुनून ने उन्हें पानी में योग करने को प्रेरित किया. जिसके बाद लगातार कड़ी मेहनत कर वह पानी में योगासन करने में सफल हुए. वह कई घंटे तक पानी में बिना कोई हरकत किए रह सकते हैं. और तो और पानी में ही योग की मुद्रा में भी रह सकते हैं.

Advertisement

वह लगातार 12 घंटे से भी ज्यादा देर तक पानी में योग कर सकते हैं. वह हर योगासन पानी मे आसानी से कर लेते हैं.

यह तो बात हो गई सुरेश महतो की. अब बात करते हैं योग से कट्टरपंथियों के निशाने पर आईं राफिया नाज की. राफिया रांची के डोरंडा इलाके की रहने वाली हैं. हालिया दिनों में राफिया सुर्ख़ियों में भी रहीं. अपने घर पर ही राफिया नाज योग सिखाती हैं.

इनका मानना है कि योग का संबंध किसी धर्म से नहीं बल्कि शरीर स्वस्थ रखने के लिए है. मुस्लिम होने के साथ-साथ एक महिला होने की वजह से राफिया को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. यही नहीं, योग के प्रति झुकाव की वजह से इन्हें कई बार कट्टरपंथियों की धमकियां भी मिल चुकीं हैं. लेकिन तमाम बाधाओं के बाबजूद राफिया अपने योग कार्यक्रम पर अडिग हैं और मोहल्ले के बच्चों को योग का प्रशिक्षण देती हैं. राफिया बताती हैं कि योग सभी को करना चाहिए.

भारत में योग की एक प्राचीन परंपरा रही है. और एक से बढ़कर एक योगियों ने अपने योग के द्वारा इसे और समृद्ध बनाया है. लेकिन 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा के बाद इसमें खास और आम सभी तरह के लोगों की रुचि बढ़ गई है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement