झारखंड कैडर के IAS देश के ऐसे पहले भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी है जो दृष्टि बाधित है और कई चुनौतियां से लड़कर अपनी मंज़िल पाई. 2007 में पहले IAS बनने में ही उनहे कई बाधाओं को पार करना पड़ा लेकिन उनकी संघर्ष की कहानी यहीं खत्म नही हुई. UPSC क्रैक करने और सफलता मिलने के बावजूद उनहे दृष्टि बाधित होने के कारण प्रशासनिक सेवा के लायक नही समझा जा रहा था और कई सवाल उठाए जा रहे थे, लिहाज़ा एक बार फिर उनहे कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी जो दिल्ली हाई कोर्ट से होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक पहुंची. उनके जुनून और जज्बे को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि IAS के लिए विज़न की ज़रूरत है आई साइट की नहीं. देखें आजतक संवाददाता सत्यजीत की ये रिपोर्ट.