कोरोना वायरस की वजह से देशभर की पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है. जिसकी वजह से सही तरीके इलाज नहीं मिल रहा है और लोगों की तड़प-तड़प कर जान जा रही है. मध्य प्रदेश के रतलाम में कोविड महामारी से जूझ रहे लोगों का हाल ऐसा ही है. रतलाम मेडिकल कॉलेज में कोविड मरीजों का इलाज खुले में हो रहा है. जिसकी वजह से संक्रमण फैलने का खतरा काफी बढ़ गया है.
कोरोना संदिग्धों मरीजों को मेडिकल कॉलेज के कोविड केयर सेंटर के गेट के बाहर बेड पर मरीजों का इलाज किया जा रहा है. मेडिकल कॉलेज के प्रबंधन ने बेड के इंतजार कर रहे मरीजों के लिए यह इतंजाम किया है, लेकिन इससे खुले में संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ गया है. यहां पर अगर किसी मरीज को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है तो उसको बाहर से ही सिलेंडर का इंतजाम करना पड़ता है.
मेडिकल कॉलेज के इस इंतजाम से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है. आते जाते लोगों का हाथ गैलरी में लेटे मरीजों के बेड से टच हो जाते हैं और लोगों का खुले में खांसना बेहद खरतनाक है. जिसकी वजह से तीमारदारों के साथ साथ अन्य लोगों पर संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ गया है.
रविवार को पदभार संभालने के बाद कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम जब शासकीय मेडिकल कॉलेज का जायजा लेने पहुंचे तो यह नजारा देखकर वो हैरान रह गए. फिर उन्होंने डीन डॉ. जितेंद्र गुप्ता को संदिग्ध मरीजों की स्क्रीनिंग मेडिकल कॉलेज के अंदर कहीं पर कराने के निर्देश दिए.
कोरोना के रोज 300 से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं. शनिवार को 398 जबकि रविवार को 360 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई. हालात इतने बेकाबू हो चुके हैं कि 550 बेड वाले शासकीय मेडिकल कॉलेज के सभी आईसीयू के 56, एचडीयू के 172 और ऑक्सीजन वाले 120 बेड फुल हैं. नॉन ऑक्सीजन वाले 202 बेड में 102 मरीज भर्ती हैं. इस तरह यहां कुल 450 मरीज भर्ती हैं, जिनमें से 303 कोरोना संक्रमित हैं. बाकी मरीज कोरोना संदिग्ध अथवा ऑक्सीजन लेवल कम वाले हैं. सिर्फ 100 सामान्य बेड ही यहां खाली हैं.