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मध्य प्रदेश

MP: बेटियों को एथलीट बनाने के लिए गरीब किसान ने खेत में बना दिया ट्रैक

हिमांशु पुरोहित
  • सागर ,
  • 24 जून 2021,
  • अपडेटेड 10:27 PM IST
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साल 2016 में आई बॉलीवुड फिल्म दंगल, एक ऐसे पिता की कहानी थी, जो अपनी बेटियों को कड़े संघर्ष के साथ पहलवान बनाता है. यह फिल्म पहलवान महावीर सिंह फोगाट और उनकी दोनों बेटियां गीता और बबीता फोगाट के जीवन के संघर्ष पर बनी थी. इस फिल्म में दिखाया गया था कि कैसे एक पिता अपनी बेटियों को पहलवान बनाता है और वो कैसे देश के लिए पदक जीतती हैं. एक ऐसी ही कहानी मध्य प्रदेश के सागर जिले से आई है, जहां पर एक गरीब किसान अपनी तीन बेटियों को एथलीट बनाने की कोशिशों में जुटा है. 

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सागर जिले के रहने वाले किसान विनोद रजक की तीन बेटियां और एक बेटा है और वो अपनी बेटियों को एथलीट बनाना चाहते हैं. इसके लिए उन्होंने अपने खेत में एक रेसिंग ट्रैक बनाया है. जिसमें उनकी बेटियां जमकर प्रैक्टिस कर रही हैं. बताया जा रहा है कि जल्द ही लड़कियों को राज्य की एथलेटिक्स हंट में मौका मिलने की उम्मीद है.  

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इस छोटे से गांव में खेलकूद के लिए सुविधाएं मौजूद नहीं हैं. विनोद का सपना है कि उनकी बेटियां भी गीता और बबीता की तरह देश के लिए पदक जीतकर लाएं. इसलिए उन्होंने बेटियों की प्रैक्टिस के लिए अपने खेत में ही सारा इंतजाम कर दिया. उनकी तीनों बेटियां काजल, आस्था और पूजा के रोज 15 से 20 किलोमीटर का दौड़ लगाती हैं. विनोद का कहना है कि वो हर तरह की चुनौती से लड़ने के लिए तैयार हैं. वो हर हाल में अपनी बेटियों को एथलीट बनाएंगे. 

 

 

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करोंद गांव बीना शहर से लगभग तीस किलोमीटर दूर है और इस गांव में कुल 200 परिवार रहते हैं. यहां के बच्चों के लिए खिलाड़ी बनना एक बड़ी चुनौती है, प्रैक्टिस करने के लिए कोई संसाधन भी इनके पास नहीं हैं और न ही कोच. बावजूद इसके पिता और बेटियों के हौसले सातवें आसमान पर हैं. आने वाले मुकाबलों में हिस्सा लेने के लिए लड़कियां जमकर पसीना बहा रही हैं. काजल और पूजा नेशनल खेल चुकी हैं और आस्था स्टेट लेवल पर अपने होना का अहसास हर किसी को करा रही हैं.  

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विनोद रजक के पास करीब एक एकड़ जमीन है, जिसमें वो खेती करते हैं और बच्चे एथलेटिक्स की प्रैक्टिस. साथ ही विनोद की यह कोशिश रहती है कि उनकी बेटियों की पढ़ाई लिखाई में किसी तरह की कोई कमी न रहे इसके लिए वो दिन रात मेहनत करते हैं. इस काम में उनकी पत्नी भी मदद करती हैं.    

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तीनों लड़कियां सुबह तीन घंटे प्रैक्टिस करती हैं और शाम को पढ़ाई खत्म करने के बाद फिर से प्रैक्टिस में लग जाती हैं. इसके अलावा वो घर पर मां के कामकाज में भी हाथ बंटाती हैं. 

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किसान विनोद का कहना है कि वो अपनी बेटियों को एथलीट बनाना चाहते हैं.  तीन बेटियां काफी मेहनत कर रही हैं, दो बेटियां उनमे से नेशनल खेल चुकी हैं एक बेटी स्टेट लेवल पर खेल रही है. गांव में कोई सरकारी ग्राउंड नहीं है इसलिए हमने अपने खेत में ही बना रखा है. उम्मीद कर रहा हूं एक दिन उनकी और बेटियों की मेहनत रंग लाएगी.  

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वहीं बेटी आस्था का कहना है कि वो देश के लिए ओलंपिक में पदक जीतना चाहती हैं. पापा से मुझे काफी प्रेरणा मिली है,  हम पिछले पांच सालों से प्रैक्टिस कर रहे हैं. हमारी दिनचर्या सुबह 4 बजे शुरू होती है,  हम सुबह 4:30 बजे ग्राउंड आ जाते हैं और 7 बजे तक प्रैक्टिस करते हैं फिर उसके बाद घर जाते हैं.

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