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अयोध्या: MP चुनाव से 3 दिन पहले संघ-VHP की रैली पर दिग्विजय ने उठाए सवाल

अयोध्या में राम मंदिर को लेकर आरएसएस और वीएचपी मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के मतदान से तीन दिन पहले रैली करने जा रही है. कांग्रेस इसे ध्रुवीकरण बता रही है.

साधु-संत प्रतीकात्मक फोटो साधु-संत प्रतीकात्मक फोटो
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 13 नवंबर 2018,
  • अपडेटेड 1:16 PM IST

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के तहत वोटिंग से तीन दिन पहले आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद देश के तीन शहरों में राम मंदिर को लेकर जनाग्रह रैली का आयोजन करने जा रहे हैं. संघ-वीएचपी की रैली में कांग्रेस को वोटों के ध्रुवीकरण करने की साजिश नजर आ रही है.

राम मंदिर को लेकर आरएसएस और वीएचपी 25 नवंबर को अयोध्या, नागपुर और बेंगलुरू में जनाग्रह रैली का आयोजन करेगा. देश के हजारों साधु-संतों के संघ-वीएचपी के इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने की संभावना है. ऐसे में इसके सियासी मायने भी निकाले जाने लगे हैं.

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संघ के इस अयोजन को लेकर कांग्रेस नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा कि संघ की अयोध्या में 25 नवंबर को रैली कर रही है. जबकि 28 नवंबर को मध्य प्रदेश में मतदान है. ऐसे में सभी न्यूज चैनल संघ-वीएचपी की इस रैली को 24 घंटे तक चलाएंगे.

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि मतदान से तीन दिन पहले राम मंदिर मुद्दे को लोगों के सामने लाने की कोशिश है. इसके जरिए ध्रुवीकरण करने की मंशा है.

दिलचस्प बात ये है कि राम मंदिर मुद्दे को लेकर सियासत तेज हो गई है. अयोध्या मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई कब से होगी इस पर अभी तस्वीर साफ नहीं है. इसे लेकर साधु-संतों के तेवर सख्त हैं. इन सबके बीच संघ और वीएचपी जहां जनाग्रह रैली करने जा रहा है. वहीं, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे भी 25 नवंबर को अयोध्या पहुंच रहे हैं.

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शिवसेना के मुख्यपत्र सामना के संपादकीय में लिखा गया है, 'सबसे अहम ये है कि आरएसएस की जनाग्रह रैली के लिए तारीखें किसने तय की. जिसने आरएसएस से कहा है 25 नवंबर को जनाग्रह रैली का आयोजन किया जाए, उसके नाम का खुलासा किया जाना चाहिए.'

शिवसेना ने अयोध्या में 25 नवंबर को अपने कार्यक्रम का फैसला बहुत पहले दशहरा रैली में ही ले लिया था. आरएसएस ने उसी दिन जनाग्रह रैली रखने का फैसला क्यों किया? आरएसएस ने इसके बारे में पहले क्यों नहीं सोचा?’

शिवसेना पहले भी कह चुकी है कि बीजेपी सरकार बहुत पहले ही राम मंदिर का निर्माण करा सकती थी, लेकिन वो सिर्फ चुनाव में ही इस मुद्दे का नाम लेते हैं. वो भी सिर्फ नाम के लिए. शिवसेना के मुताबिक बीजेपी राम मंदिर निर्माण के लिए गंभीर नहीं है.

दरअसल, आरएसएस और वीएचपी का उसी दिन अयोध्या में रैली करना जिस दिन शिवसेना का भी वहां कार्यक्रम है तो ऐसे में शिवसेना के कार्यक्रम को अधिक तवज्जो नहीं मिलेगी.

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