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उत्तर प्रदेश के यादव से मध्य प्रदेश के गौर कैसे बन गए बाबूलाल

उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ के नौगीर गांव में 2 जून 1930 को बाबूलाल गौर का जन्म हुआ था. मुलायम सिंह यादव की तरह बाबूलाल गौर के पिता राम प्रसाद यादव भी पहलवान थे. उन्होंने अपने जीवन यापन के लिए उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ से मध्य प्रदेश की ओर रुख किया और वहीं की मिट्टी में रम गए.

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर (फोटो-फाइल) मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर (फोटो-फाइल)
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 21 अगस्त 2019,
  • अपडेटेड 8:24 AM IST

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के दिग्गज नेता रहे बाबूलाल गौर का 89 साल की उम्र में बुधवार सुबह निधन हो गया है. वह काफी समय से बीमार चल रहे थे. उन्होंने भोपाल के नर्मदा अस्पताल में आखिरी सांस ली. उन्होंने अपने जीवन यापन के लिए उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ से मध्य प्रदेश की ओर रुख किया और वहीं की मिट्टी में रम गए. बाबूलाल का बीजेपी के बड़े नेता के रूप में मध्‍यप्रदेश की राजनीति में प्रमुख स्थान रहा है.

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ऐसे बने बाबूराम यादव से बाबूलाल गौर

उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ के नौगीर गांव में 2 जून 1930 को बाबूलाल गौर का जन्म हुआ था. मुलायम सिंह यादव की तरह बाबूलाल गौर के पिता राम प्रसाद यादव भी पहलवान थे. बाबूलाल गौर का असली नाम बाबूराम यादव था. जब वह स्कूल में पढ़ते थे, उनकी क्लास में दो बाबूराम यादव और भी थे. इस तरह टीचर जब भी किसी बाबूराम यादव को बुलाते तो सबको दुविधा होती थी.

एक दिन टीचर बोले- जो मेरी बात 'गौर' से सुनेगा और सवाल का सही जवाब देगा. उसका नाम बाबूराम गौर कर दिया जाएगा. इस तरह टीचर के सवाल का सही जवाब देने वाले का नाम बाबूराम यादव से बाबूराम गौर पड़ गया. इसके बाद जब यह बाबूराम गौर भोपाल गए तो वहां के लोगों ने बाबूराम को बाबूलाल कहना शुरू कर दिया तो उन्होंने अपना नाम ही बाबूलाल गौर रख लिया.

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संघ से शुरू हुआ राजनीतिक सफर

बाबूलाल गौर ने 16 साल की उम्र से ही संघ की शाखाओं में जाना शुरू कर दिया था. बाबूलाल गौर सन 1946 से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे. उन्होंने दिल्ली, पंजाब आदि राज्यों में आयोजित संघ के कई कार्यक्रमों में भी भाग लिया था. गौर ने आपातकाल के दौरान 19 माह की जेल भी काटी थी.

बाबूलाल गौर 23 अगस्त 2004 से 29 नवंबर 2005 तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. हालांकि गौर पहली बार 1974 में भोपाल दक्षिण विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में निर्दलीय विधायक चुने गए थे. उन्होंने 1977 में गोविन्दपुरा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और साल 2018 तक वहां से लगातार आठ बार विधानसभा में रहे. बीमारी के चलते 2018 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने किस्मत नहीं आजमाई.

जब तोड़ा जीत का अपना ही रिकॉर्ड

बता दें कि 1993 के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज कर बाबूलाल गौर ने कीर्तिमान रचा था. उन्होंने सबसे ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की. इसके बाद 2003 के विधानसभा चुनाव में 64 हजार 212 मतों के अंतर से विजय पाकर अपने ही कीर्तिमान को तोड़ा. 1990 से दिसंबर 1992 तक एमपी के स्थानीय शासन, विधि एवं विधायी कार्य, संसदीय कार्य, जनसंपर्क, नगरीय कल्याण, शहरी आवास तथा पुनर्वास एवं भोपाल गैस त्रासदी राहत मंत्री रहे. बाबूलाल गौर सितंबर 2002 से 2003 तक मध्य प्रदेश विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे.

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शराब की कंपनी और कपड़े की मिल से नेता बनने का सफर

बाबूलाल गौर शुरुआत में शराब की कंपनी में काम करते थे, लेकिन संघ के चलते उन्होंने शराब कंपनी की नौकरी छोड़कर कपड़े की मिल में काम करना शुरू कर दिया. इस दौरान वह ट्रेड यूनियन की गतिविधियों में शामिल रहे. 1956 में बाबूलाल गौर पार्षद का चुनाव लड़े और हार गए. साल 1972 आया तो उन्हें जनसंघ की ओर से विधानसभा टिकट मिला. उन्होंने भोपाल की गोविन्दपुरा सीट से किस्मत आजमाई. गौर अपना पहला चुनाव हार गए. इसके खिलाफ उन्होंने कोर्ट में पिटीशन डाली. वह पिटीशन जीते तो 1974 में यहां दोबारा उपचुनाव कराए गए और इसमें बाबूलाल गौर को जीत मिली और इस तरह वह पहली बार विधानसभा पहुंचे. इसके बाद उन्होंने पलटकर नहीं देखा और सत्ता के शीर्ष मुकाम तक चढ़ते चले गए.

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