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MP: सेवा बहाली की मांग कर रहे थे कोरोना वॉरियर्स, मिली पुलिस की लाठियां

करीब छह हजार हेल्थ वर्कर्स को सरकार ने अप्रैल 2020 में तीन महीने के लिए कॉन्ट्रेक्ट पर नियुक्ति दी थी. अब इनकी सेवाएं 31 दिसंबर को खत्म की जा रही हैं. इसी के विरोध में ये कोरोना वॉरियर्स भोपाल में प्रदर्शन कर रहे थे.

भोपाल में धरने पर बैठे थे स्वास्थ्यकर्मी भोपाल में धरने पर बैठे थे स्वास्थ्यकर्मी
रवीश पाल सिंह
  • भोपाल,
  • 04 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 1:33 AM IST
  • कोरोना वॉरियर्स पर चला पुलिस का डंडा
  • भोपाल में 3 दिन से स्वास्थ्यकर्मी धरने पर बैठे थे
  • तीन माह के लिए कॉन्ट्रेक्ट पर नियुक्ति दी गई थी

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में कोरोना वॉरियर्स स्वास्थ्य कर्मियों को पुलिस ने गुरुवार को अचानक प्रदर्शन स्थल से खदेड़ दिया. दरअसल, भोपाल के नीलम पार्क में बीते तीन दिन से नियमित करने की मांग को लेकर ये स्वास्थ्यकर्मी धरने पर बैठे थे. इस दौरान गुरुवार को अचानक पुलिस ने बलपूर्वक सभी को नीलम पार्क से लाठी और डंडे के दम पर हटाकर खदेड़ दिया. 

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स्वास्थ्यकर्मियों के मुताबिक, ऐसे करीब 6 हजार स्वास्थकर्मियों को सरकार ने अप्रैल 2020 में तीन महीने के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्ति दी थी. इसके बाद से 3-3 महीने में 2 बार कॉन्ट्रैक्ट बढ़ाया गया और अब सेवाएं 31 दिसंबर को खत्म की जा रही हैं. सेवाएं खत्म होते देख स्वास्थकर्मी सरकार से सेवा बहाली और नियमितीकरण की मांग को लेकर धरने पर बैठे हुए थे, जिसके बाद पुलिस ने इन्हें खदेड दिया. 

कांग्रेस ने जताया विरोध

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट कर पुलिस कार्रवाई का विरोध किया है. उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि 'जहां एक तरफ विश्व भर में कोरोना योद्धाओं का सम्मान किया जा रहा है, उन्हें प्रोत्साहित किया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार उन पर बर्बर तरीके से लाठियां बरसा रही है. यह घटना बेहद निंदनीय, मानवीयता व इंसानियत को शर्मसार करने वाली है.

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आगे उन्होंने कहा, 'कोरोना की इस भीषण महामारी में अपनी जान जोखिम में डालकर सेवाएं देने वाले कोरोना वॉरियर्स भोपाल में अपनी जायज मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे तब उन्हें न्याय दिलवाने की बजाय उन पर बर्बर तरीके से लाठीचार्ज किया गया. जो सम्मान के हकदार उनसे अपराधियों की तरह व्यवहार? लाठीचार्ज के दोषियों पर तत्काल कड़ी से कड़ी कार्रवाई हो और इनकी मांगों पर तत्काल सहानुभूतिपूर्ण निर्णय लिया जाए.'

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