
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में कोरोना से संक्रमित एक मरीज के वेंटिलेटर में आई खराबी की वजह से जान गंवाने का मामला सामने आया है. परिजनों ने वेंटिलेटर बंद होने की वजह से मरीज की मौत होने का आरोप लगाया है. अस्पताल प्रबंधन ने मौत की बात तो स्वीकार किया है लेकिन वेंटिलेटर बंद होने को इसकी वजह मानने से इनकार भी किया है.
मामले के तूल पकड़ने के बाद अस्पताल अधीक्षक ने मामले की जांच के आदेश भी दे दिए हैं. घटना भोपाल के हमीदिया अस्पताल की है जहां एक कोरोना मरीज को कोविड वार्ड-3 में भर्ती किया गया था. मरीज की स्थिति बेहद गंभीर थी लिहाजा उसे वेंटिलेटर पर रखा गया था. परिजनों का आरोप है कि सोमवार को वेंटिलेटर अचानक बंद हो गया. वार्ड में दूसरा वेंटिलेटर नहीं था लिहाजा दूसरे वार्ड से वेंटिलेटर लाया लेकिन जब तक उस वेंटिलेटर पर मरीज को शिफ्ट किया जाता तब तक उसका निधन हो गया.
परिजनों का कहना है कि वेंटिलेटर की खराबी ने उनके मरीज की जान ले ली. इस बारे में 'आजतक' ने जब हमीदिया अस्पताल के अधीक्षक डॉक्टर लोकेंद्र दवे से बात की तो उन्होंने बताया कि मरीज वेंटिलेटर पर था और वेंटिलेटर में खराबी आई थी. यह सही बात है लेकिन तुरंत दूसरा वेंटिलेटर उपलब्ध करवा दिया गया था. इसलिए यह कहना कि वेंटिलेटर खराबी से उनकी जान गई यह सही नहीं है क्योंकि मरीज बहुत गंभीर थे और उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट भी दिया गया था.
डॉक्टर दवे ने कहा कि अगर वेंटिलेटर बंद भी होता है तो ऑक्सीजन सपोर्ट रहता है. वहीं, जिस वार्ड में मरीज भर्ती थे वहां हमारे पास पीएम केअर फंड से मिले कुल 28 वेंटिलेटर हैं जिनमें से 5 खराब हैं और 23 वेंटिलेटर वहां हैं. इतनी संख्या में मरीज उस वार्ड में वेंटिलेटर पर नहीं हैं इसलिए वेंटिलेटर कम पड़ गए, ऐसा भी नहीं कहा जा सकता. पीएम केअर फंड से मिले करीब 8-9 वेंटिलेटर खराब हैं जिसके लिए संबंधित कंपनी को शिकायत भेज दी गई है.
उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि हमारे पास इसके अलावा बैकअप वेंटिलेटर भी हैं. इसके बावजूद मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं और इसकी रिपोर्ट तलब की है ताकि मौत की असल वजह सामने आ सके.