
पीएम सम्मान निधि के तहत मिलने वाली दो-दो हजार रुपये कि आर्थिक मदद गरीब किसानों के लिए बेहद कारगर साबित हो रही है. लेकिन आधार कार्ड में 'M' के चक्कर में 70 साल के बुजुर्ग किसान भंवरलाल ऐसे फंसे की बीते दो साल से वो इस मदद से महरूम हो गए और अपनी चप्पलें घिस-घिस कर थक गए.
दरअसल मध्य प्रदेश के विदिशा में जिला मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर दूरी पर भंवरलाल नाम के किसान आधार कार्ड में अपने नाम की स्पेलिंग में M लग जाने से बैंक के चक्कर लगाते लगाते थक गए लेकिन वो किसान सम्मान निधि का पैसा पाने से वंचित ही रहे. हर तीन महीने में मिलने वाली 2000-2000 रुपए की राशि बीते दो सालों से उनके खाते में पहुंची ही नहीं.
परेशान होकर किसान भंवरलाल तहसीलदार कैलाश नारायण ओझा से मिले और उन्हें अपनी दिक्कत बताई. तहसीलदार ने संवेदनशीलता दिखाते हुए पोर्टल पर नाम में परिवर्तन करवाते हुए उनका नाम जुड़वा दिया जिस वजह से अब भंवरलाल को किसान सम्मान निधि की अगली किस्त मिलेगी.
बता दें कि केंद्र सरकार ने साल 2018 में किसानों के लिए किसान सम्मान निधि की शुरूआत की थी और इसी के चलते 4 बीघा जमीन के मालिक भंवरलाल ने पंजीयन करवाया था. अक्टूबर 2019 तक उन्हें सम्मान निधि की रकम मिली लेकिन जैसे ही आधार कार्ड की अनिवार्यता शुरू की गई भंवरलाल को पैसे मिलने बंद हो गए.
भंवरलाल को पैसे नहीं मिलने का कारण सिर्फ इतना था कि आधार कार्ड पर भम्वर लाल लिखा था जबकि पंजीयन मे भंवरलाल बस इसी M के चक्कर मे सम्मान निधि की राशि उन्हें मिलनी बंद हो गई. 2 साल तक भंवरलाल चक्कर लगाते रहे लेकिन किसी ने भी उनकी समस्या का समाधान नहीं किया.
तहसीलदार जब गांव में फसल निरीक्षण के लिए गये तब भंवरलाल ने उन्हें अपनी समस्या बताई जिस पर तहसीलदार ने जिला मुख्यालय में बुलाकर पोर्टल में सुधार कर भम्वर लाल का नाम फिर से दर्ज करवा दिया.
(इनपुट - विवेक सिंह ठाकुर)
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