
मध्य प्रदेश के अशोक नगर में जैन मंदिर में जींस और टाइट कपड़ों के पहनने पर रोक लगाने का संकल्प लिया गया है. ये संकल्प जैन समाज ने खुद लिया है. दूसरी तरफ राजधानी भोपाल के जैन मंदिरों पर अबतक ऐसा कोई आदेश जारी नहीं हुआ. हालांकि लोगों में इस फैसले को लेकर अलग-अलग मत हैं.
पोस्टर लगाकर जींस ना पहनने की अपील
अशोकनगर के जैन मंदिर में पोस्टर लगाकर बताया गया है कि मंदिर में लड़कियां जींस पहनकर नहीं आ सकेंगी. वहीं लड़कों को भी मर्यादित वस्त्र पहनने का संकल्प पोस्टर के माध्यम से दिलाया गया है, जिसका पालन उन्हें ताउम्र करना होगा. ये संकल्प अशोकनगर जैन समाज ने किया है. दिगंबर जैन पंचायत अशोकनगर के अध्यक्ष रमेश चौधरी के मुताबिक अशोकनगर में चातुर्मास कर रहे आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के परम शिष्य मुनिश्री अभय सागर जी महाराज, प्रभात सागर जी महाराज और पूज्य सागर जी महाराज के प्रवचनों से प्रेरित होकर जैन समाज के लोगों ने ये निर्णय लिया है.
पुरुषों को भी मर्यादित वस्त्र पहनने की हिदायत
मंदिर में लगे पोस्टर में लिखा है कि अब महिला हो या पुरुष वो मंदिर में मर्यादित वस्त्र ही पहन कर आ सकेंगे. हालांकि इस मामले में जब भोपाल में जैन समाज के लोगों से बात की तो उन्होंने जिनालयों में मर्यादित वस्त्र पहनने के संकल्प का समर्थन किया. लेकिन ये भी साफ कर दिया कि फिलहाल भोपाल में ऐसा कोई नियम लागू नहीं किया गया है. भोपाल दिगंबर जैन पंचायत के अध्यक्ष प्रमोद जैन हिमांशू ये उन लोगों ने आपस से ये संकल्प लिया है.
लोगों ने संकल्प पर उठाए सवाल
उन्होंने कहा कि हमारे संत ये कभी नहीं बोलते कि क्या पहनना है लेकिन हां मर्यादित कपड़े होने चाहिए, पारदर्शी कपड़े नहीं पहनना चाहिए, फटी जींस नहीं होना चाहिए. वहीं भोपाल में आए जैन संत ब्रह्मचारी पारस जैन की मानें तो अशोकनगर में समाज में कुरितियां आई होंगी उसको देखते हुए जैन समाज ने ये संकल्प लिया होगा. इस बारे में जब जैन मंदिरों में जींस पहनकर आने वाले लोगों से बात की, उनका कहना था कि शुद्ध वस्त्र की कोई परिभाषा नहीं होती कि जींस को शुद्ध या अशुद्ध कह दें. वहीं मंदिर में जींस पहनकर आईं प्राची जैन से जब पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यदि इसे मन से किया जाए तो समझ में आता है. लेकिन थोपा जाना तो उचित नहीं है.