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MP: सिंधिया बोले- मैं कुर्सी का सेवक नहीं, ठुकरा दिया था डिप्टी सीएम बनने का प्रस्ताव

कांग्रेस का दामन छोड़ भारतीय जनता पार्टी में आने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया लगातार अपनी पुरानी पार्टी पर हमलावर हैं. उपचुनाव में प्रचार के दौरान एक बार फिर सिंधिया ने कांग्रेस पर हमला बोला और डिप्टी सीएम पद को नकारने की बात कही.

BJP नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया (PTI) BJP नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया (PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 24 अगस्त 2020,
  • अपडेटेड 12:05 PM IST
  • ज्योतिरादित्य सिंधिया का कांग्रेस पर वार
  • कुर्सी का सेवक नहीं, जनता का सेवक: सिंधिया
  • ठुकरा दिया था डिप्टी सीएम बनने का प्रस्ताव: सिंधिया

मध्य प्रदेश में होने वाले उपचुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच जुबानी जंग जारी है. भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने रविवार को ग्वालियर में एक सभा को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि हम जनता के सेवक हैं, किसी कुर्सी के सेवक नहीं हैं.

अपने संबोधन में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा, ‘हम किसी सिंहासन के सेवक नहीं हैं, अगर कुर्सी-सिंहासन के सेवक होते, तो जब मुझे उपमुख्यमंत्री बनने को कहा गया था मैं उसे स्वीकार कर लेता. 

सिंधिया बोले कि लेकिन मैंने इनकार कर दिया, क्योंकि मुझे मालूम था कि जो लोग कुर्सी पर बैठे हैं वो 15 महीने में इस मध्य प्रदेश का क्या कर देंगे. 

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गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में 27 सीटों पर उपचुनाव होना है और इनमें अधिकतर वो सीटें हैं जहां से ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक विधायकों ने इस्तीफा देकर भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा था. ऐसे में सिंधिया ने प्रचार की कमान संभाली हुई है.

मध्य प्रदेश में कमलनाथ की अगुवाई में जब सरकार बनी तो ज्योतिरादित्य सिंधिया की नाराजगी सामने आई थी. जिसके बाद से ही मध्य प्रदेश कांग्रेस में जंग जारी रही और अंतत: सिंधिया ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया. 

दिग्विजय सिंह बोले- ज्योतिरादित्य सिंधिया के जाने से कांग्रेस हो गई जिंदा

हालांकि, तब से अबतक लगातार ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ, दिग्विजय सिंह में जुबानी जंग जारी है और दोनों ओर से ही एक दूसरे पर हमला किया जा रहा है. बता दें कि ऐसा ही कुछ नजारा बीते दिनों राजस्थान में देखने को मिला था, जब सचिन पायलट ने बगावत कर दी थी और उनके साथ भी दो दर्जन के करीब विधायक चल दिए थे.

हालांकि, कांग्रेस पार्टी सचिन पायलट को मनाने में कामयाब रही और एक बार फिर उनकी पार्टी में वापसी हो गई. भले ही सचिन पायलट उपमुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष का पद गंवा बैठे हो लेकिन अपनी कई बातें उन्होंने मनवा लीं.

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