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कमलनाथ के हाथ में MP की कमान, मंच पर दिखी महागठबंधन की झलक

कमलनाथ ने भोपाल के जम्बूरी मैदान में मध्यप्रदेश के 18वें मुख्यमंत्री की शपथ ली. इस समारोह में महागठबंधन के नेताओं के साथ कमलनाथ ने औद्योगिक जगत की हस्त‍ियों को भी आमंत्रित किया. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह भी यहां पहुंचे.

कमलनाथ कमलनाथ
रवीश पाल सिंह
  • भोपाल,
  • 17 दिसंबर 2018,
  • अपडेटेड 4:55 PM IST

भोपाल के जम्बूरी मैदान में कमलनाथ ने मध्य प्रदेश के 18वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. इस मौके पर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी मौजूद रहे. साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा और एनसीपी नेता शरद पवार समेत कई विपक्षी दिग्गज भी कमलनाथ के शपथ ग्रहण में शिरकत करने पहुंचे.

निवर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी इस समारोह में शिरकत की. उन्होंने यहां मौजूद तमाम कांग्रेसी और गैर-बीजेपी दलों के नेताओं से मुलाकात की. कई मौकों पर वो मुस्कराते भी दिखे. साथ ही उन्होंने शपथ ग्रहण के बाद कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया का हाथ पकड़कर जनता का अभिवादन किया.

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छिंदवाड़ा से लोकसभा सांसद कमलनाथ मंच पर जब पहुंचे तो उनके साथ सीएम रेस में रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया भी मौजूद थे. मंच पर आते ही कमलनाथ ने वहां मौजूद सभी नेताओं से मुलाकात की और उन्होंने शिवराज सिंह चौहान का अभिवादन भी स्वीकार किया. कमलनाथ को राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई. कमलनाथ ने सोमवार को अकेले ही शपथ ली क्योंकि मंत्रिमंडल पर अभी फैसला नहीं हो पाया है.

ये नेता रहे मौजूद

कमलनाथ के मंच पर 2019 के मद्देनजर विपक्षी एकजुटता भी देखने को मिली. मंच पर जनता दल सेकुलर के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा, एनसीपी नेता शरद पवार, लोकतांत्रिक जनता दल के नेता शरद यादव, नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता फारूक अब्दुल्ला, झामुमो नेता हेमंत सोरेन और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव समेत कई दूसरे नेता भी मंच पर नजर आए.

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इनके अलावा आंध्र प्रदेश सीएम चन्द्रबाबू नायडू, प्रफुल्ल पटेल, एच डी कुमारस्वामी, एमके स्टालिन, कनिमोझी, दिनेश त्रिवेदी, बाबूलाल मरांडी, वी नारायणसामी, नवजोत सिंह सिद्धू, मल्लिकार्जुन खड़गे, राज बब्बर समेत कई बड़े नेताओं ने श‍िरकत की. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट भी यहां पहुंचे.

धर्म गुरू भी पहुंचे

नेताओं के अलावा कमलनाथ के शपथ ग्रहण में सभी धर्मों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया. इनमें मशहूर कंप्यूटर बाबा और आचार्य प्रमोद कृष्णम समेत मुस्लिम और ईसाई समुदाय से जुड़े प्रतिनिधि भी पहुंचे.

ऐसा रहा कमलनाथ का सफर

कमलनाथ की गिनती देश के दिग्गज राजनेताओं में होती है. मध्य प्रदेश ने देश को जितने भी नामी राजनेता दिए हैं उनमें से एक कमलनाथ भी हैं. 18 नवंबर 1946 को उत्तर प्रदेश के कानपुर में जन्मे कमलनाथ की स्कूली पढ़ाई मशहूर दून स्कूल से हुई. दून स्कूल में उनकी जान पहचान कांग्रेस के दिवंगत नेता रहे संजय गांधी से हुई. दून स्कूल से पढ़ाई करने के बाद कमलनाथ ने कोलकाता के सेंट जेवियर कॉलेज से बी.कॉम में स्नातक किया. 27 जनवरी 1973 को कमलनाथ अलका नाथ के साथ शादी के बंधन में बंधे. कमलनाथ के दो बेटे हैं. उनका बड़ा बेटा नकुलनाथ राजनीति में सक्रिय है.

34 साल की उम्र में जीता पहला चुनाव

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कमलनाथ 9 बार लोकसभा के लिए चुने जा चुके हैं. वह साल 1980 में 34 साल की उम्र में छिंदवाड़ा से पहली बार चुनाव जीते जो अब तक जारी है. कमलनाथ 1985, 1989, 1991 में लगातार चुनाव जीते. 1991 से 1995 तक उन्होंने नरसिम्हा राव सरकार में पर्यावरण मंत्रालय संभाला. वहीं 1995 से 1996 तक वे कपड़ा  मंत्री रहे.

1998 और 1999 के चुनाव में भी कमलनाथ को जीत मिली. लगातार जीत हासिल करने से कमलनाथ का कांग्रेस में कद बढ़ता गया और 2001 में उन्हें महासचिव बनाया गया. वह 2004 तक पार्टी के महासचिव रहे. छिंदवाड़ा में तो जीत का दूसरा नाम कमलनाथ हो गए और 2004 में उन्होंने एक बार फिर जीत हासिल की. यह लगातार उनकी 7वीं जीत थी. गांधी परिवार का सबसे करीबी होने का इनाम भी उनको मिलता रहा और इस बार मनमोहन सिंह की सरकार में वे फिर मंत्री बने और इस बार उन्हें वाणिज्य मंत्रालय मिला.

उन्होंने यूपीए-1 की सरकार में पूरे 5 साल तक यह अहम मंत्रालय संभाला. इसके बाद 2009 में चुनाव हुआ और एक बार फिर कांग्रेस का यह दिग्गज नेता लोकसभा के लिए चुना गया. छिंदवाड़ा में कांग्रेस का यह 'कमल' लगातार खिलता गया और इस बार की मनमोहन सिंह की सरकार में इनको सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय मिला. साल 2012 में कमलनाथ संसदीय कार्यमंत्री बने.

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मध्य प्रदेश में मिली थी अहम जिम्मेदारी

कमलनाथ की गिनती कांग्रेस के उन नेताओं में होती है जो संकट के समय में भी पार्टी के साथ हमेशा रहे. चाहे वो राजीव गांधी का निधन हो, 1996 से लेकर 2004 तक जिस संकट से कांग्रेस गुजर रही थी, इस दौरान भी वह पार्टी के साथ रहे वो भी तब जब शरद पवार जैसे दिग्गज नेताओं ने पार्टी का साथ छोड़ दिया था. 26 अप्रैल 2018 को वह मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष बने. उन्हें अरुण यादव की जगह अध्यक्ष बनाया गया.

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