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2 मिनट में 13 साल की बदली सत्ता, कमलनाथ ने क‍िया श‍िव'राज' का अंत

भोपाल के जम्बूरी मैदान पर कमलनाथ का शपथ ग्रहण समारोह दोपहर 2.32 पर शुरू हुआ. 2 म‍िनट में शपथ लेकर कमलनाथ मध्यप्रदेश के 18वें मुख्यमंत्री बन गए. इस दौरान मंच पर पूर्व मुख्यमंत्री श‍िवराज स‍िंह भी थे.

ज्योत‍िराद‍ित्य स‍िंध‍िया, श‍िवराज स‍िंह, कमलनाथ (Photo:twitter) ज्योत‍िराद‍ित्य स‍िंध‍िया, श‍िवराज स‍िंह, कमलनाथ (Photo:twitter)
श्याम सुंदर गोयल
  • नई द‍िल्ली,
  • 17 दिसंबर 2018,
  • अपडेटेड 4:37 PM IST

मध्यप्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन की अनुमत‍ि पाकर कमलनाथ ने सोमवार को 18 वें मुख्यमंत्री की शपथ ली . इसके साथ ही मध्यप्रदेश में 15 साल से जारी बीजेपी की सत्ता और श‍िवराज के 13 साल के राज  का अंत हो गया.

शपथ लेते ही श‍िव'राज' का अंत

कमलनाथ ने शपथ लेते हुए कहा क‍ि मैं कमलनाथ ईश्वर की शपथ लेता हूं क‍ि मैं व‍िध‍ि द्वारा स्थाप‍ित भारत के संव‍िधान के प्रत‍ि सच्ची श्रद्धा और न‍िष्ठा रखूंगा. मैं भारत की प्रभुता और अखंडता अक्षुण्ण रखूंगा. मैं मध्य प्रदेश राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों का श्रद्धापूर्वक और शुद्ध अंतकरण से निर्वहन करुंगा. तथा मैं भय, पक्षपात, अनुराग या द्वेष के बिना सभी प्रकार के लोगों के  प्रत‍ि संविधान और व‍िध‍ि के अनुसार न्याय करुंगा.

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मैं कमलनाथ जो व‍िषय मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में मेरे व‍िचार के ल‍िए लाया जाएगा अथवा मुझे ज्ञात होगा, उससे क‍िसी व्यक्त‍ि या व्यक्त‍ियों को तब के सिवाय जबकि ऐसा मंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों के सम्यक निर्वहन के ल‍िए ऐसा करना अपेक्ष‍ित हो, मैं प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से संसूच‍िता प्रकट नहीं करुंगा.

2 म‍िनट में शपथ

शपथ ग्रहण से पहले कमलनाथ, श‍िवराज स‍िंह से म‍िलने उनके बंगले पर गए थे. वहां उन्होंने 45 म‍िनट तक उनसे चर्चा की थी. जम्बूरी मैदान पर कमलनाथ का शपथ ग्रहण दोपहर 2.32 पर शुरू हुआ और 2 म‍िनट में शपथ लेकर कमलनाथ मध्यप्रदेश के 18वें मुख्यमंत्री बन गए. इस दौरान मंच पर पूर्व मुख्यमंत्री श‍िवराज स‍िंह भी थे.

गौरतलब है क‍ि 8 द‍िसंबर 2003 को बीजेपी सरकार में उमा भारती मुख्यमंत्री बनी थी. 23 अगस्त 2004 को बाबूलाल गौर मुख्यमंत्री बने और फ‍िर 29 नवंबर 2005 को श‍िवराज स‍िंह चौहान मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने. उसके बाद से लगातार श‍िवराज ही बीजेपी में मुख्यमंत्री का चेहरा रहे. 11 द‍िसंबर 2018 को व‍िधानसभा चुनाव का पर‍िणाम आने के बाद 12 द‍िसंबर को इस्तीफा दे द‍िया था. उसके बाद कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में वे थे.

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कैसा रहा कमलनाथ का राजनीत‍िक सफर

कमलनाथ की गिनती देश के दिग्गज राजनेताओं में होती है. मध्य प्रदेश ने देश को जितने भी नामी राजनेता दिए हैं उनमें से एक कमलनाथ भी हैं.  18 नवंबर 1946 को उत्तर प्रदेश के कानपुर में जन्मे कमलनाथ की स्कूली पढ़ाई मशहूर दून स्कूल से हुई. दून स्कूल में उनकी जान पहचान कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे संजय गांधी से हुई. दून स्कूल से पढ़ाई करने के बाद कमलनाथ ने कोलकाता के सेंट जेवियर कॉलेज से बी.कॉम में स्नातक किया. 27 जनवरी 1973 को कमलनाथ अलका नाथ के साथ शादी के बंधन में बंधे. कमलनाथ के दो बेटे हैं. उनका बड़ा बेटा नकुलनाथ राजनीति में सक्रिय है.

34 साल की उम्र में जीता पहला चुनाव

कमलनाथ 9 बार लोकसभा के लिए चुने जा चुके हैं. वह साल 1980 में 34 साल की उम्र में छिंदवाड़ा से पहली बार चुनाव जीते जो अब तक जारी है. कमलनाथ 1985, 1989, 1991 में लगातार चुनाव जीते. 1991 से 1995 तक उन्होंने नरसिम्हा राव सरकार में पर्यावरण मंत्रालय संभाला. वहीं 1995 से 1996 तक वे कपड़ा  मंत्री रहे.

1998 और 1999 के चुनाव में भी कमलनाथ को जीत मिली. लगातार जीत हासिल करने से कमलनाथ का कांग्रेस में कद बढ़ता गया और 2001 में उन्हें महासचिव बनाया गया. वह 2004 तक पार्टी के महासचिव रहे. छिंदवाड़ा में तो जीत का दूसरा नाम कमलनाथ हो गए और 2004 में उन्होंने एक बार फिर जीत हासिल की. यह लगातार उनकी 7वीं जीत थी. गांधी परिवार का सबसे करीबी होने का इनाम भी उनको मिलता रहा और इस बार मनमोहन सिंह की सरकार में वे फिर मंत्री बने और इस बार उन्हें वाणिज्य मंत्रालय मिला.

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उन्होंने यूपीए-1 की सरकार में पूरे 5 साल तक यह अहम मंत्रालय संभाला. इसके बाद 2009 में चुनाव हुआ और एक बार फिर कांग्रेस का यह दिग्गज नेता लोकसभा के लिए चुना गया. छिंदवाड़ा में कांग्रेस का यह 'कमल' लगातार खिलता गया और इस बार की मनमोहन सिंह की सरकार में इनको सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय मिला. साल 2012 में कमलनाथ संसदीय कार्यमंत्री बने.

मध्य प्रदेश में मिली थी अहम जिम्मेदारी

कमलनाथ की गिनती कांग्रेस के उन नेताओं में होती है जो संकट के समय में भी पार्टी के साथ हमेशा रहे. चाहे वो राजीव गांधी का निधन हो, 1996 से लेकर 2004 तक जिस संकट से कांग्रेस गुजर रही थी, इस दौरान भी वह पार्टी के साथ रहे वो भी तब जब शरद पवार जैसे दिग्गज नेताओं ने पार्टी का साथ छोड़ दिया था. 26 अप्रैल 2018 को वह मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष बने. उन्हें अरुण यादव की जगह अध्यक्ष बनाया गया.

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