
मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने बुधवार को कैबिनेट की बैठक में बड़ा फैसला लेते हुए नगरीय निकाय एक्ट में बदलाव को मंजूरी दे दी है. एक्ट में बदलाव के बाद अब राज्य में मेयर का चुनाव सीधे तौर पर यानी प्रत्यक्ष प्रणाली से नहीं होगा बल्कि अब पार्षद ही अपने बीच से मेयर और नगर निगम के अध्यक्ष का चुनाव करेंगे.
अब तक जनता सीधे मेयर को चुनती थी, लेकिन इस फैसले के बाद अब मेयर और नगर निगम अध्यक्ष का चुनाव पार्षदों के मतों पर होगा यानी जिस राजनीतिक दल के पार्षद ज्यादा होंगे उनका ही मेयर चुना जाएगा.
साथ ही कैबिनेट में यह फैसला भी किया गया कि आपराधिक छवि वाले पार्षदों को भी अब बख्शा नहीं जाएगा. पार्षद के खिलाफ अगर किसी अपराध की शिकायत आएगी और वो दोषी पाया जाएगा तो उस पर 6 महीने की सजा के साथ ही 25 हजार रुपये का जुर्माने लगाया जाएगा.
आपको बता दें कि देश की राजधानी दिल्ली में भी नगर निगम में इसी प्रणाली के तहत चुनाव होते हैं. इसमें पहले सभी 272 सीटों पर पार्षदों के चुनाव होते हैं जिसके बाद पार्टी मेयर नॉमिनेट करती है और पार्षदों की वोटिंग के आधार पर मेयर चुन लिया जाता है.
बीजेपी ने जताया विरोध
कमलनाथ की कांग्रेस सरकार के इस कदम पर बीजेपी ने विरोध जताया है. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बीजेपी कार्यालय में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि इस प्रणाली के जरिए कांग्रेस खरीद-फरोख्त की राजनीति को बढ़ावा देना चाहती है जो गलत है.