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पत्थरबाजी, तलवारबाजी, फिर रात में आगजनी... चश्मदीदों से सुनिए खरगोन हिंसा की आपबीती

खरगोन में रामनवमी के जुलूस पर पथराव हुआ था. इसके बाद शहर में दंगे फैल गए थे. खरगोन पुलिस और प्रशासन हिंसा के आरोपियों की पहचान कर उनकी संपत्तियों को गिरा रहा है. हालांकि, विपक्ष और मुस्लिम संगठनों का आरोप है कि सरकार मुस्लिमों को टारगेट कर रही है.

खरगोन में रामनवमी के दिन हिंसा हुई थी. खरगोन में रामनवमी के दिन हिंसा हुई थी.
श्रेया चटर्जी
  • खरगोन,
  • 15 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 2:27 PM IST
  • खरगोन में रामनवमी पर फैली थी हिंसा
  • आरोप है कि रामनवमी के जुलूस पर पथराव के बाद हुई हिंसा

मध्यप्रदेश के खरगोन में रामनवमी पर हिंसा फैली थी. आरोप है कि यह हिंसा जुलूस पर पथराव के बाद हुई. वहीं, मुस्लिम समुदाय का कहना है कि जुलूस में शामिल लोगों के उकसाने के बाद पथराव शुरू किया गया. हिंसा के दौरान कई घरों को आग के हवाले कर दिया था. उपद्रवियों ने जमकर पथराव भी किया. हाल ही में कुछ सीसीटीवी वीडियो भी सामने आए थे. इसमें देखा जा सकता है कि उपद्रवियों के हाथ में तलवारें थीं. वे गाड़ियों में तोड़फोड़ करते भी नजर आए थे. आईए जानते हैं आखिर खरगोन में हिंसा की शुरुआत कैसे हुई और हिंसा के चश्मदीदों और पीड़ितों ने क्या क्या बताया...

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कैसे हुई हिंसा की शुरुआत?

मध्यप्रदेश के खरगोन में रामनवमी पर जामा मस्जिद के पास संवेदनशील तालाब चौक क्षेत्र से जुलूस निकलना था. हर साल की तरह इस बार भी खुद को राम का वंशज कहने वाले रघुवंशी समुदाय ने यात्रा निकाली. संवदेनशील क्षेत्र होने के चलते पुलिस आम तौर पर यहां जुलूस शुरू होने से पहले बेरिकेड लगा देती है. सूत्रों के मुताबिक, जुलूस में भाग लेने वाले सदस्यों में से एक की पुलिस के साथ बहस हुई थी. हालांकि, जुलूस शांतिपूर्ण तरीके से निकला और राम मंदिर पर जाकर खत्म हो गया.

इसके बाद अफवाह फैल गई कि पुलिस रामनवमी के जुलूस को निकलने से रोक रही है. इसके बाद भीड़ इकट्ठी हुई. अफवाह के बाद यहां मौजूद लोगों ने इसी रूट से दोबारा जुलूस निकालने का फैसला किया. जिस वक्त दूसरी बार जुलूस निकाला गया, वही नमाज का वक्त था. यहीं से विवाद शुरू हुआ. 

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चश्मदीदों का क्या है कहना?

रामनवमी जुलूस में शामिल लोगों और इसके आयोजकों का दावा है कि नमाज पढ़कर मस्जिद से बाहर आए लोग उकसावे के लिए जिम्मेदार हैं. जुलूस में शामिल एक शख्स ने बताया कि काफी भीड़ थी. हमने रामनवमी पर इस बार बड़े ऐलान किए थे. लेकिन तलाब चौक पर हमपर पत्थर फेंके गए. ऐसे में हमें अपना बचाव करना पड़ा. 

तालाब चौक में स्थित जामा मस्जिद के सचिव हाफिज मोहम्मद मोहसिन ने इंडिया टुडे को बताया कि दोनों तरफ से पत्थर फेंके गए. लेकिन जुलूस में शामिल लोगों की ओर से उकसाया गया. उन्होंने बताया कि इससे पहले हमने प्रशासन को भी जानकारी दी थी और पीएमओ को भी पत्र लिखा था कि तालाब चौक संवेदनशील इलाका है, यहां अक्सर सांप्रदायिक दंगे होते रहते हैं, मस्जिद पर भी पथराव किया जाता है. ऐसे में यहां किसी जुलूस को अनुमति न दी जाए. 

मौत से जंग लड़ रहा शिवम

जब विवाद बढ़ा तो पुलिस ने भीड़ को हटाने के लिए लाठी चार्ज किया. इसके बाद भीड़ संकरी गलियों में भागने लगी. गलियों से भीड़ ने जमकर पथराव किया. इसी पथराव के दौरान शिवम को भी चोट लगी. शिवम के चचेरे भाई ने बताया कि हम जुलूस में हिस्सा लेने के लिए काफी उत्साहित थे. उस दिन अचानक से हमारे घर के पीछे से पथराव होने लगा. दंगाइयों के हाथ में हथियार भी थे. इस दौरान शिवम के सिर पर चोट लग गई. शिवम का इंदौर के अस्पताल में इलाज चल रहा है. 

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नासिर अहमद के घर को भीड़ ने किया आग के हवाले

शिवम की तरह नासिर अहमद भी हिंसा की चपेट में आया. खरगोन पुलिस के रिटायर सब इंस्पेक्टर ने इंडिया टुडे से बातचीत में कहा, उसका पड़ोसी ही पथराव कर रहा था. उसने पड़ोसी से ऐसा करने के लिए मना किया. लेकिन वह नहीं माना.  नासिर अहमद ने बताया कि पड़ोसी अनिल की पत्नी भी उनकी गली में स्थित एक मात्र मुस्लिम के घर को जलाने का इशारा किया. 

इंडिया टुडे को तीन सीसीटीवी भी मिले हैं. ये अलग अलग लोकेशन के हैं. इसमें चेहरे को ढके उपद्रवी उत्पाद मचाते नजर आ रहे हैं. एक सीसीटीवी तालाब चौक का है. जिसमें देखा जा सकता है कि जब जुलूस जामा मस्जिद के पास से निकला तो उस पर पथराव किया गया. दूसरा सीटीवी गौशाला मार्ग का है, यहां देखा जा सकता है कि घर की छत से लोगों पर पत्थर फेंके जा रहे हैं. 

हमारी दुकान को आग के हवाले कर दिया- पीड़ित दुकानदार

हिंसा के बाद खरगोन में कर्फ्यू लगा दिया गया. संजय नगर में रहने वाले इस्माइल ने इंडिया टुडे से बातचीत में कहा, हमारी दुकान को रात 1 बजे आग लगा दी गई. शाम को ज्यादातर दुकानदारों ने अपनी दुकानें बंद कर दी थीं. जब हमने पूछा कि क्या हुआ, किसी ने हमें इस बारे में जानकारी नहीं दी. उन्होंने बताया कि उनकी दुकान हिंदू बाहुल्य इलाके में है. दूसरी पर उनकी दुकान निशाने पर आई है. इससे पहले 2018 में भी उनकी दुकान पर हमला हुआ था. 

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सोमवार से प्रशासन ने खरगोन में घरों और दुकानों को गिराना शुरू कर दिया. दो दिन में 16 घर और 32 दुकानों को बुलडोजर से गिरा दिया गया. प्रशासन का कहना है कि ये संपत्तियां अवैध थीं. वहीं, खरगोन का जनसंपर्क विभाग अलग ही कहानी बता रहा है.

जनसंपर्क विभाग ने ट्वीट कर बताया कि जो लोग पथराव और हिंसा में शामिल थे, उनके घरों को गिराया जा रहा है. गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी ऐसा ही कुछ बयान दिया. उन्होंने कहा, जिन लोगों ने पथराव किया, उनके घर पत्थरों में बदल दिए जाएंगे. 

जिन घरों को गिराया गया, उनमें एक घर साजिद का भी है. साजिद ने इंडिया टुडे से बातचीत में कहा, मैंने 2011 में वैध तरीके से घर बनाया था. उसके बाद से मुझे कोई नोटिस भी नहीं आया. लेकिन अभी कुछ लोग अचानक से आए और मेरे घर पर बुलडोजर चला दिया. यहां तक कि हम हिंसा का हिस्सा भी नहीं थे. हमारे क्षेत्र में हिंसा भी नहीं हुई. 

(इनपुट- रवीश पाल सिंह, धर्मेंद्र कुमार शर्मा)

 

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