
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मध्य प्रदेश में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के दफ्तर से हटाई गई सुरक्षा को लेकर विवाद पैदा हो गया था और इस फैसले के खिलाफ राज्य में कांग्रेस सरकार के बड़े नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की ओर से आलोचना किए जाने के बाद राज्य की कमलनाथ सरकार ने अपने फैसले को पलटते हुए पुरानी सुरक्षा व्यवस्था बहाल करने का निर्देश जारी कर दिया.
राज्य की कांग्रेस सरकार ने सोमवार देर रात भोपाल स्थित संघ मुख्यालय से सुरक्षा हटाने का फैसला लिया जिस पर उनकी ही पार्टी के दिग्गज दिग्विजय सिंह ने सवाल खड़े कर दिए थे. दिग्विजय ने ट्वीट कर संघ कार्यालय की सुरक्षा बहाल करने की अपील की. वहीं एक अन्य पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी इसकी आलोचना की. राज्य में इस फैसले के राजनीतिक तूल पकड़ते देख मुख्यमंत्री ने दोबारा सुरक्षा व्यवस्था बहाल करने के निर्देश दिए.
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने फैसले पर कहा, 'भले ही आरएसएस से हमारे वैचारिक मतभेद लेकिन मैं सुरक्षा हटाने का पक्षधर नही हूं.' साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि 'सुरक्षा की मांग वाला पत्र प्रशासन को सौंपना चाहिए.' मुख्यमंत्री ने कहा कि चुनाव के चलते 6 जगहों से सुरक्षा हटाई गई थी.
आरएसएस कार्यालय में सुरक्षा बहाल करने के निर्देश देने के साथ ही कमलनाथ ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए लिखा कि 'मैं इस तह में भी नहीं जाना चाहता हूं कि पिछले 15 वर्षों में बीजेपी कार्यालय पर सुरक्षा बल तैनात रहे वही कांग्रेस कार्यालय को कोई सुरक्षा बीजेपी सरकार में नहीं प्रदान की गई. हमारी सरकार बनने के बाद भी हमने बीजेपी कार्यालय को दी जा रही सुरक्षा व्यवस्था को जारी रखा. हमने बीजेपी की तरह दोहरा आचरण नहीं रखा. भले आरएसएस कार्यालय के जिम्मेदार लोग कह रहे है कि हमने सुरक्षा नहीं मांगी लेकिन मैं इस तरह की राजनीति में विश्वास शुरू से नहीं करता हूं और ना इस तरह के विषय को राजनीति का केंद्र बनाना चाहता हूं'.
इसके साथ ही नसीहत देते हुए कमलनाथ ने लिखा है कि 'जो बीजेपी नेता इस मामले पर हो हल्ला मचा रहे हैं और हमले की आशंका जताते हुए सुरक्षा की आवश्यकता बात रहे हैं, उन्हें विधिवत प्रक्रिया का पालन कर सुरक्षा की मांग वाला पत्र तुरंत प्रशासन को सौंपना चाहिए. सुरक्षा मांगना भी नहीं और हटना भी नहीं चाहिए ये दोनों बातें समझ से परे है. फिर भी मैं आरएसएस कार्यालय को पुनः सुरक्षा देने के निर्देश जारी कर रहा हूं'.
इससे पहले आरएसएस कार्यालय से सुरक्षा हटाए जाने पर बीजेपी ने कड़ी आपत्ति जताई थी. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि 'ये छोटे मन वाला घटिया फैसला है जिसकी मैं निंदा करता हूं. संघ को किसी का डर नहीं और न ही आरएसएस सुरक्षा का मोहताज है लेकिन ये सरकार की ड्यूटी है कि वो सुरक्षा दे. वैचारिक मतभेद हैं तो क्या किसी को मरने भी दोगे आप? ये गलत और घटिया फैसला है'.
इससे पहले मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने समिधा से सुरक्षा हटाए जाने पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया था कि भोपाल स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यालय से सुरक्षा का हटाया जाना @OfficeOfKNath का बेहद ही निंदनीय कदम है. @INCMP द्वारा शायद फिर किसी हमले की योजना बनाई गई है, अगर किसी स्वयंसेवक को खरोंच भी आई तो कांग्रेस सरकार की ईंट से ईंट बजा दी जाएगी'.
मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह दोनों ही संघ के आलोचक रहे हैं, लेकिन लोकसभा चुनाव से ठीक पहले दिग्विजय ने अपनी ही सरकार के फैसले की आलोचना कर सबको चौंका दिया था.