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लोकसभा चुनावः BJP की जीत के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंचे मध्य प्रदेश कांग्रेस के नेता

पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और झाबुआ रतलाम सीट से प्रत्याशी रहे कांतिलाल भूरिया के साथ ही सीधी, सतना, ग्वालियर, टीकमगढ़, बालाघाट, होशंगाबाद, मंडला, उज्जैन, खरगोन, विदिशा, दमोह, सागर, शहडोल से प्रत्याशी रहे नेताओं ने भी कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

जबलपुर हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करने के बाद कांग्रेस नेता कांतिलाल भूरिया और अन्य. जबलपुर हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करने के बाद कांग्रेस नेता कांतिलाल भूरिया और अन्य.
aajtak.in
  • जबलपुर,
  • 08 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 9:37 PM IST

जनता की अदालत में लोकसभा चुनाव हार चुके मध्य प्रदेश के कांग्रेस 14 उम्मीदवारों ने इसे जबलपुर हाई कोर्ट में चुनौती दी है. अब, जबकि पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के इस्तीफे से मुश्किल हालात में है, इन नेताओं ने चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए भारतीय जनता पार्टी के नवनिर्वाचित सांसदों का निर्वाचन रद्द करने की अपील की है. याचिका दाखिल करने वालों में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और झाबुआ रतलाम सीट से प्रत्याशी रहे कांतिलाल भूरिया भी शामिल हैं.

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जानकारी के अनुसार भूरिया के साथ ही सीधी, सतना, ग्वालियर, टीकमगढ़, बालाघाट, होशंगाबाद, मंडला, उज्जैन, खरगोन, विदिशा, दमोह, सागर, शहडोल से प्रत्याशी रहे नेताओं ने भी कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. याचियों ने कहा है कि लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया ने कई तरह की शंका-आशंका को जन्म दिया. इनके उत्तर अभी तक आम मतदाताओं को प्राप्त नहीं हुए हैं. चुनाव प्रक्रिया के दौरान आयोग की कार्यशैली पर भी सवाल उठाते हुए नेताओं ने कहा कि लोकसभा क्षेत्रों में आरक्षित ईवीएम मशीनों का विलंब से स्ट्रॉन्ग रूम में जमा किया जाना, आरक्षित ईवीएम मशीनों को मतदान में उपयोग की गई मशीनों के साथ ही स्ट्रॉन्ग रूम में जमा किया जाना उनकी अदला-बदली की ओर इशारा करता है. कई जगह मशीनों की सील टूटी पाई गई. इसे लेकर भी आयोग ने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया.

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वेबसाइट और अंतिम परिणाम के आंकड़ों में भिन्नता को भी बनाया आधार

कांग्रेस नेताओं ने याचिका में मतगणना के दौरान चुनाव आयोग द्वारा वेबसाइट पर प्रदर्शित किए गए वोटों में, प्राथमिक परिणाम की घोषणा के समय बताए गए मत परिणाम और अंतिम घोषित परिणाम में हार-जीत के अंतर में भिन्नता को भी बीजेपी उम्मीदवारों के निर्वाचन को चुनौती देने का आधार बनाया है. इनकी दलील है कि कुछ ही माह पूर्व विधानसभा चुनावों में कांग्रेस और बीजेपी को प्रदेश में लगभग बराबर वोट मिले. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 34.5 फीसदी और बीजेपी को 58 फीसदी वोट मिले. चंद महीने में ही 24 फीसदी वोट का अंतर शंका को जन्म दे रहा है. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को दो तिहाई बहुमत प्राप्त हुआ, वहीं लोकसभा चुनाव में बीजेपी के पक्ष में आया एकतरफा परिणाम आश्चर्यजनक है. पूरे उत्तर भारत में हार के अंतर में समानता दिखाई देना अविश्वसनीय है.

की फोरेंसिक जांच कराने की मांग

कांग्रेस के 10 उम्मीदवारों ने उच्च न्यायालय में पूरी चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए इसकी फोरेंसिक जांच कराने की मांग की. कोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाले नेताओं ने वीवीपैट पर्चियों के मिलान को लेकर चुनाव आयोग से लगातार मांग करने और आयोग द्वारा इसे ठुकरा दिए जाने का उल्लेख करते हुए कहा कि चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता के साथ ही यह सुनिश्चित किया जाना भी जरूरी है कि किसी को इस पर सवाल उठाने का अवसर न मिले.

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