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मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं. भोपाल मध्य विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सुरेंद्र नाथ सिंह और कांग्रेस के आरिफ मसूद के बीच मुकाबला था. इस सीट पर बाजी पलटते हुए कांग्रेस के आरिफ मसूद ने जीत दर्ज की है. उन्हें 76647 वोट मिले हैं. जबकि भाजपा प्रत्याशी सुरेन्द्र नाथ सिंह को 61,890 वोट मिले हैं.
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भोपाल मध्य विधानसभा सीट से 2013 के विधानसभा चुनाव बीजेपी के सुरेंद्र नाथ सिंह ने जीता था. उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार आरिफ मसूद को हराया था. वहीं, 2008 के चुनाव में बीजेपी के ध्रुव नारायण सिंह ने कांग्रेस के नासिर इस्लाम को चुनावी मैदान में मात दी थी. ध्रुव नारायण सिंह वहीं हैं जो शहला मसूद हत्याकांड में चर्चित रहे.
2013 में विधानसभा की क्या थी तस्वीर
मध्य प्रदेश विधानसभा की 230 सीटों में से 35 सीट अनुसूचित जाति जबकि 47 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं. 148 गैर-आरक्षित सीटें हैं. 2013 में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने 165 सीटों पर जीत हासिल कर राज्य में लगातार तीसरी बार सरकार बनाई थी, जबकि कांग्रेस को 58 सीटों से ही संतोष करना पड़ा था. वहीं बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने 4 जबकि 3 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी.
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कितने लोगों ने किया मताधिकार का प्रयोग
निर्वाचन आयोग के मुताबिक 2013 में मध्य प्रदेश में कुल 4,66,36,788 मतदाता थे जिनमें महिला मतदाताओं की संख्या 2,20,64,402 और पुरुष मतदाताओं की संख्या 2,45,71,298 और अन्य वोटर्स 1088 थे. 2013 में 72.07 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था.
वोटिंग में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी
निर्वाचन आयोग के मुताबिक इस बार मध्य प्रदेश में 75.05 फीसदी मतदान हुआ. जबकि 2013 में 72.07 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था. इस बार महिलाओं का मतदान प्रतिशत पिछले चुनाव के मुकाबले करीब 4 फीसदी बढ़कर 74.03 प्रतिशत रहा. 2013 में महिलाओं का मतदान प्रतिशत 70.11 प्रतिशत रहा था.
इसके पहले कैसा रहा है वोटिंग का प्रतिशत
1990 में स्व. सुंदरलाल पटवा के नेतृत्व में भाजपा मैदान में उतरी और 4.36 फीसदी वोट बढ़ गए. तत्कालीन कांग्रेस की सरकार को हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद 1993 में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस चुनाव में उतरी तो 6.03 प्रतिशत मतदान बढ़ा और बीजेपी की पटवा सरकार हार गई थी.
वहीं, 1998 में वोटिंग प्रतिशत 60.22 रहा था जो 1993 के बराबर ही था. उस वक्त दिग्विजय सिंह की सरकार बनी. लेकिन 2003 में उमा के नेतृत्व में भाजपा सामने आई और दिग्विजय सिंह की 10 साल की सरकार सत्ता से बाहर हो गई. उस वक्त भी 7.03 प्रतिशत वोट बढ़े थे.
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