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MP: गोंडवाना गणतंत्र पार्टी तय करेगी बिछिया सीट पर हार-जीत की दिशा

मंडला जिले के बिछिया सीट पर पिछली बार भाजपा के पंडित सिंह धुर्वे ने त्रिकोणीय मुकाबले में तत्कालीन कांग्रेस विधायक नारायण सिंह पट्टा को हराया था. इस क्षेत्र में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का दखल है, जो पिछले चुनाव में कांग्रेस की हार का मुख्य कारण रहा. गोंगपा प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहे थे.

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वरुण शैलेश
  • नई दिल्ली,
  • 24 सितंबर 2018,
  • अपडेटेड 8:14 PM IST

मध्य प्रदेश विधानसभा की 230 सीटों के लिए इसी साल नवंबर-दिसंबर में चुनाव होने हैं. 230 में से 35 अनुसूचित जाति जबकि 47 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं. 148 गैर-आरक्षित सीटें हैं. 2013 में हुए विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी 165 सीटों पर जीत हासिल कर सरकार बनाई थी जबकि कांग्रेस को 58 सीटों से संतोष करना पड़ा था. वहीं बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने 4 जबकि 3 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी.

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निर्वाचन आयोग के मुताबिक 2013 में मध्य प्रदेश में कुल 4,66,36,788 मतदाता थे जिनमंम महिला मतदाताओं की संख्या 22064402 और पुरुष मतदाताओं की संख्या 24571298 और अन्य वोटर्स 1088 थे. 2013 में 72.07 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था.

बिछिया विधानसभा का समीकरण

आदिवासी बहुल मंडला जिले के तीन विधानसभा क्षेत्र बिछिया, निवास और मंडला अनुसूचित जनजाति के सुरक्षित हैं. इनमें से निवास, बिछिया भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कब्जे में हैं और मंडला का प्रतिनिधित्व कांग्रेस के विधायक कर रहे हैं. जहां मंडला और निवास में भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होता है, वहीं बिछिया में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराती रही है.

बिछिया सीट पर पिछली बार भाजपा के पंडित सिंह धुर्वे ने त्रिकोणीय मुकाबले में तत्कालीन कांग्रेस विधायक नारायण सिंह पट्टा को हराया था. इस क्षेत्र में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का दखल है, जो पिछले चुनाव में कांग्रेस की हार का मुख्य कारण रहा. गोंगपा प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहे थे.

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इस बार कहा जा रहा है गोंगपा और कांग्रेस साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगी. यदि ऐसा होता है तो भाजपा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. वैसे भी कहा जा रहा है कि विधायक धुर्वे की कार्यशैली से जनता खुश नहीं हैं. यह स्थिति भाजपा की परेशानी बढ़ा सकती है. निवास विधानसभा क्षेत्र सांसद और पूर्व केंद्रीरय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते एवं उनके छोटे भाई विधायक रामप्यारे कुलस्ते का गृहक्षेत्र है.

बीते दो चुनावों से रामप्यारे ही यहां से विधायक हैं. लेकिन अगला चुनाव न केवल रामप्यारे, बल्कि कुलस्ते बंधुओं के लिए बड़ी चुनौती साबित होने वाला है. कुछ कारणों से स्थानीय जनता के बीच कुलस्ते बंधुओं की लोकप्रियता में कमी आई है.

कांग्रेस एकजुट

पिछले चुनाव में गुटबाजी की शिकार कांग्रेस के प्रत्याशी पतिराम पंद्रो को पराजय का सामना करना पड़ा था. लेकिन अब जिले में कांग्रेस का एकजुट होना भाजपा को मुसीबत में डाल सकता है. हालांकि चुनाव मैनेज करने में माहिर फग्गन सिंह कुलस्ते इस सीट को भाजपा की झोली में डालने के लिए तमाम उपाय करेंगे.

जि़ले में मंडला कांग्रेस के कब्जे वाली इकलौती सीट है, जहां इस बार मुकाबला दिलचस्प होने की उम्मीद है. कांग्रेस के संजीव उइके ने भाजपा की तत्कालीन जिला पंचायत अध्यक्ष सम्पतिया उइके से महज 3827 वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी. इस सीट से कांग्रेस की तरफ से पुन: संजीव उइके की दावेदारी पुख्ता मानी जा रही है.

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भाजपा की तरफ से स्थिति अब तक स्पष्ट नहीं है. चर्चा है कि जहां सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते को लड़ाया जा सकता है तो वहीं भाजपा से मंत्री रहे देवसिंह सैयाम भी दावेदार हैं. पूर्व विधायक और अभी आदिवासी वित्त विकास निगम के अध्यक्ष डॉ. शिवराज शाह की भी भाजपा की तरफ से दावेदारी होगी.

विधानसभा चुनाव 2013

भाजपा- पंडित सिंह धुर्वे-  65,836 (39.33%)

कांग्रेस- नारायण सिंह पट्टा- 47,520 (28.39%)

गोंगपा-कमल सिंह मरावी- 34,837 (20.81%)

विधानसभा चुनाव 2008

कांग्रेस- नारायण सिंह पट्टा- 47,286 (33.99%)

भाजपा-पंडित सिंह धुर्वे- 42,116 (30.28%)

गोंगपा-कमल सिंह मरावी- 26,612 (19.13%)

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