
मध्य प्रदेश की बैतूल विधानसभा सीट जिले के अंतर्गत आने वाली 5 विधानसभा सीटों में एक है. यह सीट 1951 में वजूद में आई. इस जिले के इतिहास की बात करें तो 1818 में मराठाओं ने इसे ईस्ट इंडिया कंपनी को सौंप दिया था. 1826 में विधिवत रूप से यह ब्रिटिश अधिकार में चला गया. 1861 में यह सागर और नर्मदा प्रांत में चला गया.
बैतूल जिला नर्मदा संभाग के अंतर्गत आता था.ब्रिटिश सेना ने मुलताई में छावनी बनाई थी. बैतूल और शाहपुर मराठा शासक अप्पा साहब के शासन से अलग हो गई थी. मराठा जनरल और सेना जून 1862 में बैतूल में रही. जिले के मुलताई शहर से "ताप्ती" का उदगम हुआ है. इसको पवित्र माना जाता है और उनका प्रसिद्ध ताप्ती मंदिर भी यहां है.
इस जिले की सियासी इतिहास की बात करें तो यहां की जनता ने बीजेपी और कांग्रेस दोनों को बराबर मौका दिया. इस सीट पर 7 बार कांग्रेस तो 5 बार बीजेपी को जीत मिली. बीते 3 चुनावों से इस सीट पर बीजेपी ही जीत दर्ज करते आई है. हालांकि तीनों ही बार उसके उम्मीदवार अलग-अलग थे. फिलहाल बीजेपी के हेमंत खंडेलवाल यहां के विधायक हैं.
2013 और 2008 के नतीजे
2013 के चुनाव में बीजेपी के हेमंत खंडेलवाल ने कांग्रेस के हेमंत वागाद्रे को 24 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था. हेमंत खंडेलवाल को इस चुनाव में जहां 82949 वोट मिले थे तो वहीं कांग्रेस के हेमंत वागद्रे को 58602 वोट मिले थे. 2008 के चुनाव की बात करें तो बीजेपी के अखलेश आर्या ने कांग्रेस के विनोद डागा को 5 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था. इस चुनाव में अखलेश आर्या को 57957 वोट मिले थे तो वहीं कांग्रेस के विनोद डागा को 52666 वोट मिले थे.
2013 में क्या थे राज्य के चुनावी नतीजे
मध्य प्रदेश में कुल 231 विधानसभा सीटें हैं. 230 सीटों पर चुनाव होते हैं जबकि एक सदस्य को मनोनीत किया जाता है. 2013 के चुनाव में बीजेपी को 165, कांग्रेस को 58, बसपा को 4 और अन्य को तीन सीटें मिली थीं.