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MP में निकाय चुनाव की तैयारियां शुरू, कांग्रेस-बीजेपी के बीच होगा मुकाबला

मध्य प्रदेश की 16 नगर निगम के महापौर सीट, 99 नगर पालिका और 292 नगर परिषदों के अध्यक्ष पद के आरक्षण के लिस्ट बुधवार को जारी कर दी गई है. उपचुनाव की जंग फतह करने के बाद बीजेपी के हौसले बुलंद हैं, लेकिन कांग्रेस ने भी निकाय चुनाव की बाजी जीतने के लिए अपनी कोशिशें तेज कर दी हैं. 

कमलनाथ और शिवराज सिंह चौहान कमलनाथ और शिवराज सिंह चौहान
aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 10 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 3:59 PM IST
  • MP की 16 नगर निगम के महापौर के आरक्षण
  • पिछले चुनाव में नगर निगम पर बीजेपी का कब्जा
  • नगर निगम चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस में फाइट

मध्य प्रदेश में लंबे समय से अटके नगरीय निकाय चुनाव को लेकर अब सियासी सरगर्मियां बढ़ गई हैं. प्रदेश की 16 नगर निगम के महापौर सीट, 99 नगर पालिका और 292 नगर परिषदों के अध्यक्ष पद के आरक्षण के लिस्ट बुधवार को जारी कर दी गई है. उपचुनाव की जंग फतह करने के बाद बीजेपी के हौसले बुलंद हैं, लेकिन कांग्रेस ने भी निकाय चुनाव की बाजी जीतने के लिए अपनी कोशिशें तेज कर दी हैं. हालांकि, अभी चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है. 

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नगर निगम के महापौर का आरक्षण

प्रदेश के 16 नगर निगमों में महापौर पद के आरक्षण की सूची जारी हो गई है, जिनमें आधी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की गई हैं. इंदौर और जबलपुर में महापौर का पद अनारक्षित रहेगा, यहां पर कोई भी चुनाव लड़ सकता है. भोपाल और खंडवा पिछड़े वर्ग की महिला, मुरैना एससी समुदाय की महिला और सागर, बुरहानपुर, ग्वालियर, देवास और कटनी में महापौर पद सामान्य वर्ग की महिला के लिए आरक्षित किए गए हैं.

नगर निगम चुनाव में कांग्रेस के लिए खाता खोलने की चुनौती है जबकि बीजेपी को शहरी इलाके में अपनी पकड़ को बनाए रखने का चैलेंज है. पिछले चुनाव में प्रदेश के सभी 16 नगर निगमों में बीजेपी ने अपना कब्जा जमाया था. वहीं, 15 नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष कांग्रेस का था जबकि एक सिंगरौली नगर निगम में बीएसपी का नेता प्रतिपक्ष था.

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कांग्रेस और बीजेपी के बीच मुकाबला

बता दें कि साल 1983 से 1999 तक मध्य प्रदेश में महापौर का चुनाव पार्षद द्वारा किया जाता था. इसके बाद सरकार द्वारा फेरबदल किए गए और महापौर का चुनाव सीधे जनता द्वारा कराए जाने लगा. हालांकि, 2018-19 में महापौर चुनाव को लेकर सत्ता में रहते हुए कमलनाथ सरकार ने फिर फेरबदल किए थे. 

कमलनाथ ने सूबे के सभी 16 नगर निगम के लिए एक बार फिर से पार्षदों द्वारा ही चुनाव कराने का नोटिफिकेशन जारी किया गया था, लेकिन शिवराज सरकार ने सत्ता में आते ही इस फैसले को बदल दिया है. इस तरह से अब महापौर के चुनाव प्रत्यक्ष होंगे, जिसे जीतने के लिए बीजेपी और कांग्रेस अपनी हरसंभव कोशिश करेंगी. ऐसे में माना जा रहा है कि जनवरी में चुनाव कराए जा सकते हैं, जिसे देखते हुए दोनों ंपार्टियां जोर-शोर से तैयारियों में जुटी हुई हैं. 

नगर पालिका के आरक्षण 

सामान्य वर्ग के लिए 53 नगर पालिका आरक्षित की गई हैं. इनमें सारंगपुर, सिवनी-मालवा, बेगमगंज, टीकमगढ़, नौगांव, पोरसा, अशोकनगर, डोंगर-परासिया, सीहोरा, कोतमा, पसान, सीधी, बड़नगर, गंजबासौदा, नरसिंहगढ़, सिहोर, पीथमपुर, बड़वाह, नरसिंहपुर, सेंधवा, गाडरवारा, अनूपपुर, आगर, शाजापुर, उमरिया, दमोह और खाचरोद. 

सामान्य महिला के लिए आरक्षित - बैतूल, विदिशा, राजगढ़, पिपरिया, गढ़ाकोटा, पन्ना, खरगोन, बालाघाट, नैनपुर, धनपुरी, महिदपुर, शिवपुरी, बैरसिया, मुलताई, देवरी, दतिया, गुना, वारासिवनी, चौरई, सौसर, अमरवाड़ा, करेली, नीमच, अंबाह, मंडीदीप, शुजालपुर. 

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ओबीसी के लिए आरक्षित

ओबीसी वर्ग के लिए भी कई नगर पालिका आरक्षित की गई है. इसमें से सबलगढ़, धारा, आष्टा, रायसेन, सिरोंज, होशंगाबाद, छतरपुर, शहडोल, पन्ना, राधौगढ़, मंदसौर, जुन्नारदेव, मनावर, मैहर, सनावद, श्योपुर कलां, सिवनी, मंडला, ब्यावरा, रहली, पाढूंर्णा, इटारसी, जावरा और नेपानगर नगर पालिका ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित कर दी गई है. 

 

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