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मध्य प्रदेश: 3 जनवरी को हो सकता है शिवराज कैबिनेट का विस्तार

मध्य प्रदेश में शिवराज कैबिनेट का विस्तार शपथ ग्रहण समारोह 3 जनवरी रविवार को 12:30 बजे राजभवन में हो सकता है. हालांकि अभी आधिकारिक तौर से शपथ ग्रहण का समय तय नहीं हुआ है.

एमपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (फोटो-पीटीआई) एमपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (फोटो-पीटीआई)
रवीश पाल सिंह
  • भोपाल,
  • 01 जनवरी 2021,
  • अपडेटेड 2:50 PM IST
  • एमपी में 3 जनवरी को कैबिनेट विस्तार संभव
  • राज्यपाल आनंदी बेन पटेल एमपी से हैं बाहर
  • एमपी कैबिनेट में 6 मंत्रियों की जगह खाली

मध्य प्रदेश में शिवराज कैबिनेट का विस्तार शपथ ग्रहण समारोह 3 जनवरी रविवार को 12:30 बजे राजभवन में हो सकता है. फिलहाल राज्यपाल आनंदी बेन पटेल प्रदेश से बाहर हैं, लेकिन शनिवार शाम तक या रविवार सुबह उनके भोपाल वापस आने की संभावना है. हालांकि अभी आधिकारिक तौर से शपथग्रहण का समय तय नहीं हुआ है.

शिवराज कैबिनेट में किसको जगह मिलेगी इस पर अभी कुछ तय नहीं हुआ है. शिवराज इस जटिल मुद्दे पर बीजेपी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष से मुलाकात कर चुके हैं. लेकिन कैबिनेट में शामिल होने वाले विधायकों की लिस्ट फाइनल नहीं हो सकी है.

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बता दें पिछले साल सरकार गठन के बाद सबसे पहले 5 मंत्रियों ने शपथ ली थी. फिर 2 जुलाई को 28 मंत्रियों ने शपथ ली. इस तरह से राज्य में कुल 33 मंत्री हो गए थे. एमपी कैबिनेट में सीएम समेत मंत्रियों की संख्या 34 हो सकती है. 

इसके बाद उपचुनाव से पहले 2 मंत्रियों तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत ने इस्तीफा दे दिया था. इसके अलावा उपचुनाव में तीन मंत्रियों की हार हुई थी. ये मंत्री थे इमरती देवी, गिर्राज दंडोतिया और एंदल सिंह कंसाना. इस तरह से शिवराज कैबिनेट में अब कुल 6 मंत्रियों की जगह खाली है. 

बता दें कि एमपी का कैबिनेट विस्तार कई महीनों से रुका हुआ है.  बता दें कि एमपी के उपचुनाव के नतीजे आए हुए डेढ़ महीने से ज्यादा का वक्त हो गया है. लेकिन शिवराज सिंह चौहान कैबिनेट का विस्तार अब तक नहीं हो पाया है. शिवराज सिंह चौहान के सामने सिंधिया समर्थक विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल एडजस्ट कराने की चुनौती है. इसके अलावा सीएम चौहान के सामने हारे हुए उम्मीदवारों को भी एडजस्ट करने की चुनौती है.  

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बीजेपी उपचुनाव के बाद अपने दम पर बहुमत हासिल कर लिया है, सीएम शिवराज सिंह चौहान के सामने असली चुनौती होगी कि वह कैबिनेट की बची हुई सीटों पर ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों को शामिल करें या फिर बीजेपी के उन नेताओं को जिनको पिछले कैबिनेट विस्तार में जगह नहीं मिल पाई थी. 

सिंधिया समर्थक मंत्रीपद के लिए ललायित हैं. हालांकि बीजेपी के पुराने नेता बोल रहे हैं कि यहां किसी एक नेता के समर्थक की पार्टी नहीं होती है, बल्कि यहां सभी समान भागीदार है. 

 

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