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क्यों कमलनाथ सरकार से नाराज हैं SP-BSP के विधायक?

कर्नाटक में जारी सियासी उठापटक के बीच मध्य प्रदेश में समाजवादी पार्टी के विधायक राजेश शुक्ला और बसपा विधायक संजीव सिंह ने कमलनाथ सरकार को सलाह दे डाली है. इनका कहना है कि सरकार के मंत्री, निर्दलीय और समर्थन देने वाले एसपी-बीएसपी के विधायकों का भी ध्यान रखें.

सीएम कमलनाथ (फाइल फोटो) सीएम कमलनाथ (फाइल फोटो)
रवीश पाल सिंह/aajtak.in
  • भोपाल,
  • 19 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 10:37 AM IST

कर्नाटक में जारी सियासी उठापटक के बीच मध्य प्रदेश में समाजवादी पार्टी के विधायक राजेश शुक्ला और बीएसपी विधायक संजीव सिंह ने कमलनाथ सरकार को सलाह दे डाली है. इनका कहना है कि सरकार के मंत्री, निर्दलीय और समर्थन देने वाले एसपी-बीएसपी के विधायकों का भी ध्यान रखें. एसपी विधायक राजेश शुक्ला और बीएसपी विधायक संजीव सिंह दोनों ही बुधवार शाम हुई विधायक दल की बैठक से नदारद थे. जबकि अन्य निर्दलीय विधायक और बीएसपी विधायक रामबाई बैठक में शामिल हुई थी. राजेश शुक्ला और संजीव सिंह ने आरोप लगाया है कि कमलनाथ सरकार के मंत्री न तो फोन उठाते हैं और न ही ठीक से मिलने का समय देते हैं. बीएसपी के संजीव सिंह भिंड से विधायक है तो वहीं समाजवादी पार्टी के राजेश शुक्ला बिजावर से विधायक हैं.

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समाजवादी पार्टी के विधायक राजेश शुक्ला ने आजतक से बात करते हुए कहा, 'मेरे पास बैठक की सूचना भी नहीं थी. मेरे पास ना मैसेज आया ना फोन. स्वाभाविक है कांग्रेस के विधायक दल की बैठक थी इसलिए ज्यादा उचित नहीं समझा. सरकार के कामकाज से बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं हूं. मंत्रियों से बहुत नाराज हूं. हम लोग कभी फोन करते हैं तो न उन्हें मिलने का टाइम है और फोन पर भी बात करने का टाइम नहीं है. आज हम जनता के बीच यह कहने की स्थिति में नहीं है कि 7 महीनों में हमने क्या किया. यही नाराजगी है कि मंत्री कोई काम करना चाहते नहीं.'

उन्होंने कहा, 'मुख्यमंत्री के पास जितने भी काम लेकर जाएं, भले ही छोटे हो या बड़े, वह सुनते हैं लेकिन हम लोगों को भी शर्म आती है कि मुख्यमंत्री को रोज-रोज कितने काम बताएं. मंत्रियों की भी जिम्मेदारी है कि उनको भी समर्थक दलों के विधायकों को देखना चाहिए. इसके पहले भी सवाल उठे थे तब हम लोगों ने समझौता किया कि चलो चुनाव हुआ, सरकार बनी. एक महीना, डेढ़ महीने फिर दो-तीन महीने आचार संहिता में निकल गए तो हम समझौता करते रहे. लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद ट्रांसफरों की नीति आई. आज यह स्थिति है कि ट्रांसफर में विधायक यदि एक प्रयास करता है कि हमारे क्षेत्र में एसडीएम पहुंच जाए तो एसडीएम नहीं पहुंच पा रहा है. तहसीलदार भी नहीं पहुंच पा रहा है. ट्रांसफर की लिस्ट तो हम लोग भी देख रहे हैं लेकिन किन के कहने से हो रहे हैं इसकी जानकारी नहीं है.'

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राजेश शुक्ला ने कहा, 'विकास की एक भी योजना 7 महीनों में हम नहीं ले जा पाए हैं. सीएम कमलनाथ योग्य और अनुभवी आदमी हैं. वह हम लोगों को साथ लेकर चल रहे हैं. लेकिन गोवा और कर्नाटक के बाद सरकार को मंत्रियों पर लगाम लगाकर रखना चाहिए. नहीं तो हम लोग तो साथ है, साथ ही रहेंगे, कहीं कांग्रेस के ही ना खिसककर चले जाएं. मंत्रिमंडल में जगह की आशा कम कर रहे हैं. हम इसी में संतुष्ट हैं कि हमारे क्षेत्र में विकास ही हो जाए, हमारे काम होते रहे.'

बीएसपी विधायक संजीव सिंह ने भी आजतक से बात करते हुए कहा, 'सीएम कमलनाथ से कोई नाराजगी नहीं है. लेकिन एक बात जरूर कहना चाहूंगा कि जो विधायक सरकार को समर्थन दे रहे हैं उन विधायकों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए. कुछ मंत्रियों का रवैया ठीक नहीं है. उनकी कार्यप्रणाली भी ठीक नहीं है. जनता ने हमें बहुत अपेक्षा से और आशा के साथ यहां चुनकर भेजा है और अगर हम उनकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरे तो हमारे विधायक रहने का कोई मतलब नहीं है. हम अपने और जनता के साथ न्याय नहीं कर पाएंगे. मंत्रिमंडल में किस को लेना है या नहीं लेना है किस को हटाना है नहीं हटाना है यह मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है. लोकसभा चुनावों में जो परिणाम आए हैं उनकी समीक्षा करके मुख्यमंत्री को कोई निर्णय लेना चाहिए. जो निर्दलीय विधायक हैं, समाजवादी पार्टी के हैं या बसपा के हैं उन पर भी कोई फैसला उनको लेना चाहिए.

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