
मध्य प्रदेश के दतिया जिला के वन अधिकारी (डीएफओ) के दफ्तर से जारी किया गया पत्र चर्चा में है. डीएफओ दफ्तर से इस पत्र को एसडीओ और रेंजरों तक को जारी कर दिया गया था. पत्र में कोई सरकारी आदेश नहीं बल्कि अंधविश्वास से भरा एक पर्चा है. यह सोशल मीडिया पर भी जमकर वायरल हो रहा है. अंधविश्वास से भरे इस पर्चे में लिखा है, "साईबाबा का यह संदेश फॉरवर्ड करने पर प्रमोशन मिलता है और जो नहीं भेजता, उसका नुकसान हो जाता है."
अधीनस्थ कर्मचारियों को भेजे गए पत्र में बकायदा डीएफओ प्रियांशी राठौर के रिसीविंग हस्ताक्षर भी हैं. पत्र में डीएफओ के हस्ताक्षर देखने के बाद अधीनस्थ कर्मचारियों में हड़कंप मच गया. वहीं जब डीएफओ राठौर को इस मामले की जानकारी मिली तो उन्होंने आदेश निकालकर इस पत्र को निरस्त करवाया. मामले को लेकर आजतक ने से फोन पर बात डीएफओ प्रियांशी राठौर से बातचीत की.
डीएफओ प्रियांशी राठौर ने बताया कि वह खुद इस तरह के अंधविश्वास भरे संदेशों और चिट्ठियों में यकीन नहीं करतीं और इसलिए जब उन्होंने इस पत्र को पढ़ा तो क्लर्क बालकृष्ण पांडे को ये पत्र अलग करने को बोल दिया था, लेकिन पता नहीं उसने इसे आगे जारी कैसे कर दिया.
मामले को लेकर उन्होंने दोनों क्लर्क को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है. महकमे की फजीहत होने के बाद डीएफओ प्रियांशी राठौर ने बालकृष्ण पांडे और लिपिक सुधा रावत को कारण बताओ नोटिस जारी किया.