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PAK से लाई गई गीता के माता-पिता की तलाश फिर शुरू, ट्रेन में चिपकाए जा रहे पोस्टर

विदिशा रेलवे स्टेशन के साथ ही यहां से आने-जाने वाली हर ट्रेन में गीता की फोटो चस्पा की जा रही है. इसके पीछे जीआरपी की मन्शा यही है कि मूकबधिर गीता के माता-पिता तक किसी तरह पहुंचा जा सके.

पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के प्रयासों से भारत आई थी गीता (फाइल फोटो) पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के प्रयासों से भारत आई थी गीता (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • विदिशा,
  • 03 नवंबर 2020,
  • अपडेटेड 12:06 AM IST
  • जीआरपी के जवान चिपका रहे पोस्टर
  • साल 2015 में वापस लाई गई थी गीता
  • 5 साल से चल रही माता-पिता की तलाश 

पाकिस्तान से कुछ साल पहले एक मूक बधिर युवती को भारत लाया गया था. अब राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) कुछ समय पहले पाकिस्तान से भारत लाई गई इस मूक बधिर युवती के माता-पिता की तलाश में जुटी है. जीआरपी की ओर से मूक बधिर युवती की तलाश में रेलवे स्टेशनों पर, ट्रेनों में फोटो और सूचनाएं चस्पा कराई जा रही हैं.

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विदिशा रेलवे स्टेशन के साथ ही यहां से आने-जाने वाली हर ट्रेन में गीता की फोटो चस्पा की जा रही है. इसके पीछे जीआरपी की मन्शा यही है कि मूकबधिर गीता के माता-पिता तक किसी तरह पहुंचा जा सके. गीता को उसका परिवार मिल सके. पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के प्रयासों से कुछ साल पहले पाकिस्तान में कई सालों से रह रही भारतीय मूल की मूकबधिर गीता को भारत लाया गया था.

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जीआरपी के जवान 1 नवंबर से विदिशा रेलवे स्टेशन के अलग-अलग हिस्सों में और यहां से गुजरने वाली तमाम ट्रेनों में गीता की तस्वीर और उससे जुड़ी जानकारियां चस्पा करा रहे हैं. जिससे उसके माता-पिता और उसके मूल निवास का पता लगाया जा सके. गीता को साल 2015 में तब विदेश मंत्री रहीं सुषमा स्वराज के प्रयासों से पाकिस्तान से वापस लाया गया था.

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युवती को भारत लाए जाने के बाद उसका नाम गीता रखा गया था. कई साल बीत जाने के बाद भी उसके मूल निवास और उसके माता-पिता का पता नहीं चल सका है. बताया जाता है कि गीता साल 1999 में ट्रेन में बैठते समय गलती से समझौता एक्सप्रेस में सवार होकर पाकिस्तान चली गई थी, जहां उसका नाम गुड्डी रख दिया गया था.

गीता इस समय इंदौर की एक संस्थान आनंद सर्विस सोसाइटी में रह रही है. संस्थान के प्रमुख की ओर से रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों से इस संबंध में सहयोग की अपील की. गीता ने संकेतों के माध्यम से बताया था कि वह ऐसे गांव में रहती है, जहां रेलवे स्टेशन नजदीक है. उसी के आधार पर रेलवे स्टेशन और ट्रेनों की मदद ली जा रही है. जीआरपी के वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर हर स्टेशन और ट्रेनों में सूचना चस्पा की जा रही है.

(विवेक ठाकुर का इनपुट)

 

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