
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल और इंदौर की प्रस्तावित मेट्रो परियोजना में गति लाने की कवायद तेज हो गई है. राज्य सरकार आगामी तीन से चार साल में इस परियोजना को पूरा करना चाहती है, इसके लिए नागपुर की परियोजना का अध्ययन किया जाएगा.
आधिकारिक जानकारी के अनुसार मेट्रो संबंधी कार्य की समीक्षा करते हुए इस परियोजना के लिए चल रहे कार्य की समीक्षा गुरुवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की.
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा है कि भोपाल एवं इदौर मेट्रो प्रोजेक्ट राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है, जिसे अगले तीन से चार सालों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. कार्य को गति प्रदान करने के लिए ज्वाइंट वेन्चर बोर्ड के गठन, भोपाल एवं इंदौर मैट्रोपोलिटन क्षेत्र को अधिसूचित करने तथा भूमि अधिग्रहण आदि के संबंध में कार्रवाई तत्परता के साथ की जाए, प्रोजेक्ट का कार्य तेज गति एवं पूरी गुणवत्ता के साथ किया जाए.
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि नागपुर मेट्रो का कार्य तेजी से हुआ है, वहां हुए कार्य का अध्ययन करें तथा मध्यप्रदेश में मेट्रो निर्माण कार्य को गति प्रदान करें.
राज्य के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस ने बैठक में बताया कि मध्यप्रदेश सरकार, भारत सरकार एवं मप्र मेट्रो रेल कंपनी के बीच हुए त्रिपक्षीय समझौते के अनुसार मध्यप्रदेश मेट्रो रेल कंपनी केन्द्र एवं राज्य सरकार की, बोर्ड द्वारा संचालित 50-50 प्रतिशत के अनुपात में संयुक्त उपक्रम कंपनी (ज्वाइंट वेंचर कंपनी) के रूप में परिवर्तित हो जाएगी.
भोपाल एवं इंदौर मेट्रो रेल प्रोजेक्ट की कुल लागत 14 हजार 442 करोड़ 20 लाख रूपये है, जिसमें भोपाल मेट्रो की लागत 6941 करोड़ 40 लाख एवं इंदौर मेट्रो की लागत 7500 करोड़ 80 लाख रूपये है.
मेट्रो कार्य के लिए अभी तक मेट्रो कंपनी को मध्य प्रदेश सरकार से 248 करोड़ 96 लाख रूपये तथा भारत सरकार से 245 करोड़ 23 लाख रूपये प्राप्त हुए हैं. इसमें से मेट्रो कार्य पर अभी तक 138 करोड़ 58 लाख रूपये व्यय किए जा चुके हैं.