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ढाई साल बाद सिंधिया-केपी यादव आए साथ नजर, जानें- एक-दूसरे के बारे में क्या कहा

ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने के बाद से पार्टी सांसद केपी यादव हाशिए पर चल रहे थे. सोमवार को मूंगावली की रैली में दोनों नेता एक साथ नजर नहीं आए थे, जिसके बाद से कई सवाल खड़े हो रहे थे. अब सिंधिया और केपी यादव मंगलवार को ढाई साल के बाद पहली बार एक साथ एक मंच पर नजर आए और दोनों ने एक दूसरे की जमकर तारीफ की.

बीजेपी सांसद केपी यादव और ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी सांसद केपी यादव और ज्योतिरादित्य सिंधिया
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 07 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 3:59 PM IST

  • केपी यादव ने सिंधिया को 2019 में चुनाव हराया
  • केपी यादव-सिंधिया के बीच फिर हो रही दोस्ती

मध्य प्रदेश की सियासत में ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने के बाद से पार्टी सांसद केपी यादव हाशिए पर चल रहे थे. सोमवार को मूंगावली की रैली में दोनों नेता एक साथ नजर नहीं आए थे, जिसके बाद से कई सवाल खड़े हो रहे थे. अब सिंधिया और केपी यादव मंगलवार को ढाई साल के बाद पहली बार एक साथ एक मंच पर नजर आए, जिसके जरिए पार्टी में एकजुटता का संदेश देने की कोशिश की जा रही है.

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अशोकनगर विधानसभा क्षेत्र की वर्चुअल रैली के जरिए राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया और बीजेपी सांसद केपी यादव एक साथ जुड़े. इस दौरान बीजेपी के दोनों नेताओं ने कार्यकर्ताओं को संबोधित ही नहीं किया बल्कि अपने पुराने संबंध को भी याद किया. सिंधिया ने केपी यादव को सराहा तो केपी यादव ने सिंधिया के सानिध्य में आगे काम करने की बात कही.

ये भी पढ़ें: मध्य प्रदेश में उपचुनाव के लिए सिंधिया एक्टिव तो कांग्रेस साइलेंट मोड में

बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में गुना-शिवपुरी सीट पर बीजेपी ने केपी यादव को उतारकर ज्योतिरादित्य सिंधिया को करारी मात दी थी. हालांकि, एक दौर में केपी यादव मूंगावली जिला पंचायत में ज्योतिरादित्य सिंधिया के सांसद प्रतिनिधि हुआ करते थे. मूंगावली सीट पर 2018 के उपचुनाव में केपी यादव ने सिंधिया से टिकट की मांग की थी, लेकिन कांग्रेस से केपी यादव के बजाय बृजेन्द्र यादव को प्रत्याशी बनाया था. इसके बाद केपी यादव ने बीजेपी का दामन थाम लिया था.

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केपी यादव और सिंधिया

इसके बाद से केपी यादव ने सिंधिया के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने सिंधिया के खिलाफ केपी यादव पर दांव लगाया और वो सफल रहा. हालांकि, यहीं से मध्य प्रदेश का सियासी समीकरण भी गड़बड़ाया और सिंधिया ने अपने 22 समर्थक विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया. सिंधिया की बीजेपी में एंट्री होने के बाद से सांसद केपी यादव की सियासी ताकत कमजोर हुई है और वो साइलेंट मोड में चले गए थे.

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बीजेपी में आने के बाद सिंधिया राजनीतिक तौर पर काफी मजबूत स्थिति में हैं. उन्होंने मूंगावली में अपनी राजनीतिक पकड़ को मजबूत करने के लिए बृजेंद्र यादव को आगे बढ़ाया और शिवराज सरकार में राज्यमंत्री बनवाने में कामयाब रहे. इसे केपी यादव की सियासी तौर पर कमजोर करने का दांव भी माना गया. सोमवार को बीजेपी की मूंगावली और बमोरी में वर्चुअल रैली में केपी यादव नहीं जुड़े, जिसे लेकर तमाम सवाल खड़े हुए थे. ऐसे में अशोकनगर की वर्चुअल रैली में दोनों नेता एक साथ नजर आ गए.

वर्चुअल रैली में सिंधिया और केपी यादव

सिंधिया और केपी यादव मंगलवार को वर्चुअल रैली में जुड़े तो एक दूसरे को सराहा, जिससे दोनों नेताओं के बीच तल्खियां कम होती दिखीं. इस दौरान राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने केपी यादव का नाम लेकर कहा कि लंबे समय एक दूसरे के साथ काम करते रहे हैं. साथ ही सिंधिया ने कोरोना संकट के दौरान केपी यादव के द्वारा किए कामों को सराहा. वहीं, केपी यादव ने ज्योतिरादित्य के साथ अपने पुराने संबंध को याद करते हुए कहा कि लंबे समय उनके साथ काम करने का अनुभव रहा है. केपी यादव ने कहा कि सिंधिया के मार्गदर्शन में आगे भी काम करते रहेंगे.

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