
कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस सरकार को गिरे अभी 24 घंटे भी नहीं हुए और इधर मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ऐलान कर दिया कि बीजेपी के दो विधायक कांग्रेस के साथ हैं. नारायण त्रिपाठी और शरद कौल नाम के इन दोनों बीजेपी विधायकों ने कांग्रेस में जाने की बात की पुष्टि कर दी है. मध्य प्रदेश के इस बड़े घटनाक्रम पर लोग यह कहते सुने जा रहे हैं कि कांग्रेस ने महज 24 घंटे में कर्नाटक का बदला ले लिया है. जो बीजेपी पहले कमलनाथ सरकार गिराने का दम भर रही थी, अब उसी के विधायक विरोधी खेमे में ताल ठोक रहे हैं.
कर्नाटक में मंगलवार शाम बड़ी उठापटक हुई और 14 महीने पुरानी कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार गिर गई. कांग्रेस के बागी विधायकों के इस्तीफे से एचडी कुमारस्वामी की सरकार अल्पमत में आ गई और फ्लोर टेस्ट में सरकार धराशायी हो गई. कांग्रेस का आरोप है कि कर्नाटक में बीजेपी ने उसके विधायकों को मोटा प्रलोभन दिया और उनसे इस्तीफे दिलवाए. 225 सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा में विश्वास मत के लिए 20 विधायक सदन में हाजिर नहीं हुए थे. विश्वास मत के पक्ष में 99 जबकि इसके खिलाफ 105 वोट पड़े. इसके साथ ही बीजेपी ने ऐलान कर दिया कि वह कर्नाटक में सरकार बनाने का दावा पेश करेगी.
कुछ ऐसी ही स्थिति मध्य प्रदेश में भी बनती दिख रही थी. जैसा कि मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा, ऊपर से नंबर एक और दो का आदेश हुआ तो एक दिन भी नहीं चलेगी सरकार. भार्गव के इस दावे के बाद कयास लगाए जाने लगे कि क्या मध्य प्रदेश भी कर्नाटक की राह पर चल पड़ा है? मगर ऐसा नहीं हुआ और मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कह दिया कि 'बीजेपी हमारी सरकार को अल्पमत में बता रही थी और कभी भी गिराने की बात की जा रही थी लेकिन आज वोटिंग के दौरान बीजेपी के दो विधायकों ने हमारी सरकार को समर्थन दिया है.'
कर्नाटक जैसी नहीं मध्य प्रदेश की स्थिति
कर्नाटक में कुमारस्वामी की सरकार बैकफुट पर आ गई थी क्योंकि उसके कई विधायक बागी हो गए थे और विधानसभाध्यक्ष को इस्तीफा सौंप दिया था. विश्वास मत के दौरान 225 सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा में वोटिंग के लिए 20 विधायक सदन में हाजिर नहीं हुए. विश्वास मत के पक्ष में 99 जबकि इसके खिलाफ 105 वोट पड़े और सरकार गिर गई.
यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि कर्नाटक विधानसभा से कांग्रेस के 14 विधायकों ने इस्तीफा दिया था, इसलिए सरकार वहां काफी पहले ही अल्पमत में आ गई थी लेकिन मध्य प्रदेश में ऐसी स्थिति नहीं है. राज्य की 230 विधायकों वाली विधानसभा में कांग्रेस के 114 और बीजेपी के 108 विधायक हैं. अब देखने वाली बात होगी कि बीजेपी के दोनों विधायक क्या पार्टी छोड़ते हैं? अगर ऐसा होता है तो कांग्रेस की संख्या 116 जबकि बीजेपी 106 पर टिक जाएगी. कांग्रेस के लिए यह बहुमत का आंकड़ा होगा, जबकि बीजेपी यहां बैकफुट पर होगी. ऐसी सूरत में कमलनाथ सरकार की निर्दलीय, बीएसपी और सपा विधायकों पर निर्भरता कम होगी. हालांकि इन दोनों विधायकों पर दल बदल कानून के तहत अयोग्य ठहराए जाने की तलवार लटकती रहेगी लेकिन यह विधानसभा अध्यक्ष पर निर्भर करेगा.
आपको बता दें कि बीजेपी के कई नेता कमलनाथ सरकार गिराने में ज्यादा समय न लगने का दावा कर चुके हैं. इन बयानों के बीच कमलनाथ ने हर बार यही कहा कि राज्य में कांग्रेस की सरकार को कोई खतरा नहीं है और वह पूरे पांच साल का अपना शासन चलाएगी. उन्होंने अपनी बात को और मजबूती देते हुए बुधवार को ऐलान कर दिया कि बीजेपी के दो विधायक उनके खेमे में आ गए हैं. कह सकते हैं कि राजनीतिक अस्थिरता की अटकलों के बीच कमलनाथ ने संकेत दे दिया है कि उनकी पार्टी कर्नाटक जैसे हालात पैदा नहीं होने देगी और 24 घंटे के अंदर ऐसा कर दिखाने का उनमें पूरा दमखम भी है.