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मध्य प्रदेश: शिवराज सिंह चौहान के 13 साल बनाम एक साल, हिंदुत्व का चढ़ा रंग

मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने अपने पिछले 13 साल के कार्यकाल में बीजेपी के उदारवादी के चेहरे के रूप में पहचान बनाई थी. लेकिन इस बार शिवराज सिंह चौहान ने बीजेपी के राजनीतिक एवं सांस्कृतिक एजेंडे पर सिर्फ अमल ही नहीं किया बल्कि खुले तौर पर आक्रामक हिंदुत्व की राह पर बढ़ते हुए दिखाई दिए.

शिवराज सिंह चौहान शिवराज सिंह चौहान
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली ,
  • 23 मार्च 2021,
  • अपडेटेड 9:08 AM IST
  • शिवराज बीजेपी के उदारवादी चेहरा माने जाते थे
  • शिवराज 2020 के बाद से हार्ड हिंदुत्व की राह पर
  • लव जिहाद के खिलाफ कानून, गो कैबिनेट का गठन

मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार ने एक साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है, लेकिन इस बार उनका सियासी मिजाज बदला-बदला नजर आया. शिवराज ने अपने पिछले 13 साल के कार्यकाल में बीजेपी के उदारवादी के चेहरे के रूप में पहचान बनाई थी. गोल टोपी पहनने से लेकर रमजान में इफ्तार पार्टियां आयोजित करने और ईद पर मुस्लिमों को गले लगाने से कभी परहेज नहीं किया, लेकिन इस बार शिवराज सिंह चौहान ने बीजेपी के राजनीतिक एवं सांस्कृतिक एजेंडे पर सिर्फ अमल ही नहीं किया बल्कि खुले तौर पर आक्रामक हिंदुत्व की राह पर बढ़ते हुए दिखाई दिए. लव जिहाद कानून से लेकर गो-कैबिनेट का गठन, कॉमेडियन मुनव्वर फारूकी की गिरफ्तारी, नेटफ्लिक्स के खिलाफ कानूनी कार्रवाई समेत कई घटनाएं शामिल हैं. 

लव जिहाद को लेकर धर्मांतरण कानून
मध्य प्रदेश में लव जिहाद की घटनाएं सीमित हैं, इसके बावजूद शिवराज सिंह चौहान ने इसके खिलाफ सख्त कानून बनवाने की पहल करने में विलंब नहीं किया. शिवराज सरकार ने लव जिहाद के खिलाफ कानून बनाया है, उसके तहत जबरदस्ती, लालच या प्रलोभन देकर विवाह करने को संज्ञेय और गैर जमानती अपराध माना जाएगा और 10 साल के कारावास का प्रावधान रखा गया है.

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हालांकि, मध्यप्रदेश में 'धर्म परिवर्तन निरोधक कानून' काफी पहले से ही मौजूद था, जिसके तहत अगर कोई अपना धर्म बदलना चाहता है तो इसके लिए उसे जिला मजिस्ट्रेट की अनुमति लेनी पड़ती थी और न ही करने पर सजा का प्रावधान था. लेकिन शिवराज सरकार ने अब लव जिहाद कानून को यूपी के योगी सरकार की तर्ज पर काफी सख्त बना दिया है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि एमपी की धरती पर लव जिहाद किया तो तबाह हो जाओगे, बर्बाद हो जाओगे, तोड़ कर रख दूंगा. 

कॉमेडियन मुनव्वर फारूकी पर सख्त एक्शन
कॉमेडियन मुनव्वर फारूकी के खिलाफ इंदौर में हिंदू देवी-देवताओं के अपमान के आरोप में शिवराज सरकार ने सख्त एक्शन लिया था. एक जनवरी को इंदौर में एक स्टैंड-अप कॉमेडी का इवेंट था, जिसमें मुनव्वर फारूकी भी शामिल हुए थे. बीजेपी विधायक मालिनी गौर के बेटे एकलव्य गौर ने शिकायत की कि फारूकी ने कॉमेडी शो के दौरान हिंदू देवी-देवताओं और गृहमंत्री अमित शाह पर अभद्र टिप्पणी की है, जिस पर एक्शन लेते हुए पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. सेशन कोर्ट और मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने मुनव्वर की जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट से उन्हें जमानत मिली. 

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गो-कैबिनेट का गठन कर दिया संदेश
शिवराज सिंह चौहान ने 'गो-कैबिनेट' गठित किया है. यह अपने तरह के देश के इस पहले कैबिनेट में मुख्यमंत्री के अलावा प्रदेश के पशुपालन, वन, पंचायत और ग्रामीण विकास, राजस्व, गृह और किसान कल्याण विभाग के मंत्री शामिल किए गए हैं. गो-कैबिनेट' निर्णयों के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी इन छह विभाग की है. शिवराज सरकार गायों के कल्याण के लिये अलग से टैक्स लगाया और साथ ही मुख्यमंत्री ने प्रदेश में गौशाला संचालन के लिए कानून बनाने और आंगनबाड़ी केन्द्रों में बच्चों को अंडे के बजाय गाय का दूध दिये जाने का भी ऐलान कर रखा है.

नेटफ्लिक्स के सीरीज पर सख्त एक्शन
शिवराज सरकार ने नेटफ्लिक्स की वेब सीरीज 'अ सूटेबल बॉय' के एक एपिसोड में मंदिर के अंदर चुंबन के दृश्य दिखाने पर भी काफी सख्त रुख अख्तियार किया था. मीरा नायर की इस वेब सीरीज को लेकर बीजेपी युवा मोर्चा के राष्ट्रीय सचिव गौरव तिवारी द्वारा आरोप लगाया गया था कि इसमें एक किसिंग सीन मध्यप्रदेश के महेश्वर कस्बे के मंदिर में फिल्माया गया है, जिससे लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं. आरोप लगाया गया था कि इस वेब सीरीज की पटकथा में मुस्लिम युवक को हिंदू महिला के प्रेमी के तौर पर मंदिर प्रांगण में किसिंग करते हुए दिखाया गया है जिससे लव-जिहाद को बढ़ावा मिलता है. इससे हिंदू भावनाओं को ठेस पहुंची है. इसके बाद मध्यप्रदेश पुलिस ने आईपीसी की धारा 295 ए के तहत नेटफ्लिक्स के दो लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किया. 

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मुस्लिमों के खिलाफ सख्त रवैया अख्तियार किया
हिंदू संगठन से जुड़े हुए लोगों ने राम मंदिर निर्माण के लिए चंदा इकट्ठा करने मुस्लिम इलाके से रैली निकाली थी. इस बीच दो समुदायों में पथराव और हिंसा हो गई थी. इसके बाद प्रशासन ने मुस्लिम परिवार के जिस मकान से पथराव हुए थे, उसे ही ढहा दिया. ऐसे ही सीएए-एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की वसूली की गई और न दिए जाने पर संपत्ति को कुर्क करने का आदेश दिया. यूपी की तर्ज पर मध्य प्रदेश में भी शहरों के नाम बदलने की मांग उठी है. भोपाल के ईदगाह हिल्स का नाम हो गुरूनानक टेकरी, होशंगाबाद को नर्मदापुरम पुकारें, हबीबगंज का नाम अटल जंक्शन और हलाली डैम के नाम बदलने की बात कही जा रही है. 

बता दें कि शिवराज सिंह चौहान 2005 से लेकर 2018 तक लगातार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. इस दौरान उनके बारे में अक्सर कहा जाता था कि वे हार्डकोर हिंदुत्व वाली बीजेपी के अंदर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की उदारवादी विरासत को आगे बढ़ाने वाले एकमात्र चेहरा हैं. वो न तो टोपी लगाने से परहेज करते थे और न ही इफ्तार पार्टी कराने से गुरेज करते थे. इतना ही नहीं वो ईद पर मुस्लिमों को बधाई देने भी पहुंचते थे. 

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लेकिन 2018 में हार के बाद उन्हें सियासी तौर पर गहरा झटका लगा है और अब जब से सत्ता में वापसी हुई है तो तेवर पूरी तरह से बदल गए हैं. यह वे शिवराज नहीं हैं जो अपने पिछले तीन कार्यकाल में हुआ करते थे. इसलिए सवाल उठते हैं कि क्या मध्य प्रदेश भी वास्तव में उत्तर प्रदेश की तर्ज़ पर उग्र हिंदुत्व की राह पर निकल पड़े हैं और बीजेपी के हार्डकोर नेताओं को टक्कर दे रहे हैं. 

 

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