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मध्य प्रदेश के मंदसौर में फिर सड़क पर उतरे किसान, मुआवजे की मांग

प्राकृतिक आपदा से खराब हुई खरीफ फसलों और अन्य समस्याओं और मांगों को लेकर सुवासरा में भारतीय किसान संघ के तत्वावधान में किसानों ने प्रदर्शन किया. करीब 800 से अधिक संख्या में किसान अपने हाथों में खराब उपज लेकर नगर की सड़कों से नारेबाजी करते हुए निकले और तहसील कार्यालय पहुंचे.

किसानों का प्रदर्शन किसानों का प्रदर्शन
आकाश चौहान
  • मंदसौर,
  • 04 सितंबर 2020,
  • अपडेटेड 8:54 AM IST
  • फसल चौपट होने से किसान परेशान
  • सरकार से मुआवजे की उठाई मांग
  • फसलों के लिए अच्छी कीमत की मांग

मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले के सोयाबीन किसानों ने गुरुवार को सुवासरा में रैली निकालकर अपनी खराब हुई फसल के मुआवजे की मांग की. ज्ञापन देते समय सुवासरा नायब तहसीलदार ने किसानों से ठीक से बात नहीं की तो किसानों ने नायब तहसीलदार पर ही खराब सोयाबीन फेंक कर विरोध जताया. आपको बता दें कि 2017 में भी इसी तरह के मामूली बवाल से मंदसौर जिले में किसान आंदोलन की शुरुआत हुई थी जिसमें 6 किसानों की मौत हो गई थी.

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प्राकृतिक आपदा से खराब हुई खरीफ फसलों और अन्य समस्याओं और मांगों को लेकर सुवासरा में भारतीय किसान संघ के तत्वावधान में किसानों ने प्रदर्शन किया. करीब 800 से अधिक संख्या में किसान अपने हाथों में खराब उपज लेकर नगर की सड़कों से नारेबाजी करते हुए निकले और तहसील कार्यालय पहुंचे. यहां नायब तहसीलदार नागेश पंवार ने किसानों से बात की. किसानों ने कृषि, उद्यानिकी, राजस्व और बिजली कंपनी के अधिकारियों को बुलाने की बात कही. लेकिन काफी देर के बाद केवल कृषि अधिकारी ही मोके पर पहुंचे. किसानों ने नायब तहसीलदार से कहा कि कृषि अधिकारियों ने मौके पर जाकर नुकसान का सर्वे नहीं किया. इस बात पर किसानों और कृषि अधिकारी के बीच नोकझोंक हो गई और किसानों ने कृषि अधिकारी के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगाए. 

इसके बाद नायब तहसीलदार ने किसानों को समझाया और ज्ञापन देने की बात कही लेकिन किसानों ने उनसे मांगों के शीघ्र निराकरण का आश्वासन चाहा. इस पर नायब तहसीलदार भड़क गए और किसानों से कहा कि ज्ञापन देना हो तो दो, नहीं तो मैं जा रहा हूं. पंवार के इस रवैये से किसान आक्रोशित हो गए और उन्होंने नायब तहसीलदार के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगाए. किसानों ने हाथों में रखी खराब उपज नायब तहसीलदार पर एक- एक कर फेंकी. आक्रोशित भीड़ को देख नायब तहसीलदार मौके से भाग खड़े हुए. बाद में  किसान सड़क पर ही धरने पर बैठ गए और नारेबाजी की. सूचना पर एसडीएम बिहारी सिंह और एसडीओपी मोके पर पहुंचे और किसानों से चर्चा की. 

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नायब तहसीलदार के खराब रवैये को देखते हुए किसानों ने एसडीएम से 2 दिन में अधिकारी को हटाने की मांग की. इस पर एसडीएम ने कहा कि इसके लिए थोड़ा समय लगेगा लेकिन किसान नहीं माने और 2 दिन में हटाने की बात पर अड़ गए. कलेक्टर से बात करने की बात कही. बाद में एसडीएम ने पूरे मामले से कलेक्टर मनोज पुष्प को अवगत कराया. कलेक्टर ने एसडीएम के फोन से भारतीय किसान संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष डूंगरसिंह सिसोदिया से कलेक्टर की बात कराई. इस पर कलेक्टर ने 2 दिन में नायब तहसीलदार पंवार को हटाने का आश्वासन दिया.

किसानों ने एसडीएम से 12 दिन में मांगों का निराकरण करने की बात भी कही. साथ ही कहा कि 12 दिन में मांगों का निराकरण नहीं होने पर जिले की 4 तहसीलों के किसानों द्वारा सुवासरा में धरना, चक्काजाम और प्रदर्शन किया जाएगा, जिसकी समस्त जवाबदेही प्रशासन की होगी. एसडीएम ने मांगों का निराकरण करने का आश्वासन दिया. करीब एक घंटे के प्रदर्शन के बाद किसान शांत हुए और मुख्यमंत्री के नाम एसडीएम बिहारीसिंह को ज्ञापन देकर लौट गए.  

किसानों की मांगें 

  • पीला मोजैक, अफलन और इल्लियों से सोयाबीन, उड़द और अन्य फसलों को हुए नुकसान का सर्वे कराकर बीमा भुगतान किया जाए.
  • वर्ष 2020 में गेहूं का बोनस 200 रुपये प्रति क्विंटल के मान से दिया जाए. 
  • वर्ष 2018 में सोयाबीन की फसल पर 500 रुपये प्रति क्विंटल के बोनस की घोषणा की गई थी, जिसका भुगतान किया जाए. 
  • वर्ष 2018 में ही 2 लाख तक का किसानों का ऋण माफ करने का वायदा किया गया था, जिसे दंड ब्याज सहित माफ करें. 
  • दूध के दाम 10 रुपये प्रति फेट किया जाए. 
  • वर्ष 2018 के गेहूं का बोनस 160 रुपये प्रति क्विंटल से दिया जाए.
  • वर्ष 2019 की मुआवजा राशि 75 प्रतिशत देना शेष है, जिसकी शेष राशि का किसानों को भुगतान किया जाए. 

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