
मध्य प्रदेश में चुनाव आचार संहिता का असर अब नवरात्रि पर होने वाले गरबा पर भी पड़ने जा रहा है. स्थानीय प्रशासन ने चुनावी साल में होने जा रहे गरबा आयोजनों के लिए रात 10 बजे तक की समयसीमा दी है जिसे बीजेपी ने बढाने की मांग की है.
दरअसल, मध्य प्रदेश में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के लिए तारीख का एलान होते ही राज्य में आचार संहिता लागू हो गई और इसकी चपेट में अब दुर्गा पूजा पंडाल और गरबा आयोजन आ सकते हैं. भोपाल कलेक्टर सुदामा खाड़े ने 'आजतक' से बातचीत में कहा है कि गरबा आयोजकों को रात 10 बजे तक ही अनुमति दी गई है. इस आदेश के बाद गरबा करने वाले युवक और युवतियों के चेहरे उतर गए हैं.
भोपाल की रहने वाली प्रज्ञा ने बताया कि गरबा जल्दी बंद करने से उन्हे काफी बुरा लगेगा क्योंकि वो इसका साल भर इंतजार करतीं हैं और पिछले कई दिनों से गरबा की प्रैक्टिस भी कर रही हैं. ऐसे में प्रशासन को चाहिए कि वो साल भर में एक बार होने वाले गरबा की टाइमिंग को थोड़ा आगे बढ़ाए.
वहीं गुजरात से आकर भोपाल में पढ़ाई कर रहे शुभम का कहना है कि गुजरात में गरबे सुबह तक चलते हैं लेकिन भोपाल में अगर 10 बजे बंद हो जाएंगे तो बुरा लगेगा क्योंकि गरबे शुरु होने का वक्त ही कई बार 9 बजे के बाद का होता है.
बीजेपी ने की समयसीमा बढ़ाने की मांग
बीजेपी ने गरबा पांडालों में रात 10 बजे की समयसीमा को आगे बढाने की मांग चुनाव आयोग से की है. सूबे के पीडब्ल्यूडी मंत्री रामपाल सिंह ने कहा है कि इस मामले में बीजेपी का प्रतिनिधिमंडल जल्द ही चुनाव आयोग जाएगा. रामपाल सिंह के मुताबिक संगठन के पदाधिकारी निर्वाचन आयोग से चर्चा कर रहे हैं और इस बारे में जल्द ही आयोग को पत्र देंगे और निर्वाचन आयोग से आग्रह करेंगे कि गरबों का टाइम आगे बढ़ाया जाए.
चीफ गेस्ट नहीं बन सकेंगे नेता
यही नहीं, नवरात्रि में माता के दरबार और गरबा आयोजनों में जाकर नेतागिरी करने वाले और तामझाम के साथ जाकर जनता को लुभाने की कोशिश करने वाले नेताओं को भी आचार संहिता का झटका लगा है. चुनाव आयोग ने नेताओं को दो टूक कहा है कि गरबा आयोजनों में जाओ लेकिन साधारण व्यक्ति बनकर.
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी वी.एल.कांताराव के मुताबिक नवरात्री उत्सव में राजनितिक लोगों की भागिदारी के लिए चुनाव आयोग ने 2012 में दिशानिर्देश जारी किए हैं उसे ही लागू किया गया है. जिसके मुताबिक धार्मिक आयोजनों में राजनीतिक प्रतिनिधी या उम्मीदवार साधारण व्यक्ति के तौर पर जा सकेंगे और उस मंच का उपयोग राजनीतिक कार्य के लिए नहीं कर सकेंगे और ना ही चीफ गेस्ट बन सकेंगे.
दरअसल दुर्गा पूजा और गरबा जैसे कार्यक्रमों के दौरान हिंदू वोटरों को लुभाने का इससे अच्छी तरीका नेताओं के पास नहीं होता. जहां वो होर्डिंग बैनरों के साथ अपनी उपस्थिति वोटरों के सामने दर्ज करा सकें. लेकिन चुनाव आयोग ने आचार संहिता लागू होते ही इन नेताओं के सपनों पर कुठाराघात कर दिया है. अब बीजेपी के नेता हों या कांग्रेस के, दोनों ही चुनाव आयोग के निर्देशों का पालन करने की बात कर रहे हैं.
वैसे नेता अक्सर धार्मिक आयोजनों के जरिए वोट की जुगाड़ में रहते हैं लेकिन ऐसा लहता है कि इस बार चुनाव आचार संहिता लागू होने के कारण नेता इसमे सफल नही हो पाएंगे.