
गाय हिन्दू धर्म में श्रद्धेय है और उसे गोमाता कह कर पूजा जाता है. गायों के रखरखाव के लिए घोषणाएं भी बड़ी-बडी की जाती हैं. मध्य प्रदेश में क्या सत्ताधारी पार्टी बीजेपी और क्या विपक्षी कांग्रेस, दोनों की ही ओर से खुद के ‘सच्चा गौभक्त’ होने के दावे किए जाते हैं.
हकीकत ये है कि मध्य प्रदेश सरकार ने वर्ष 2020-21 के लिए राज्य भर में 1300 सरकारी गाय आश्रयों (काउ शेल्टर्स) के लिए 11 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. ये रकम 1300 आश्रयों में रखी गई 1.8 लाख गायों का पेट भरने के लिए है. अगर औसत निकाला जाए तो एक गाय के लिए ये रकम 1 रुपया 60 पैसे बैठती है. महंगाई के दौर में इस नाम मात्र की रकम से गाय का किस तरह पेट भरा जाएगा, खुद ही समझा जा सकता है. इन आश्रयों में उन गायों को रखा जाता है जिन्हें लोग बेसहारा छोड़ देते हैं.
पिछले साल के बजट से 90% कटौती
हैरानी की बात है कि पिछले वित्त वर्ष में गायों के लिए आवंटित बजट 132 करोड़ रुपये था, जिसे अब घटाकर 11 करोड़ रुपये कर दिया गया है. यानि बजट में करीब 90 प्रतिशत की कटौती की गई है.
पशुपालन मंत्री ने कोरोना महामारी को बताया कटौती की वजह
मध्य प्रदेश के पशुपालन मंत्री प्रेम पटेल बजट में इस कटौती के लिए कोरोना महामारी को जिम्मेदार ठहराते हैं. पटेल दावा करते हैं कि बजट को जल्दी बढ़ाया जाएगा. पटेल ने कहा, "ऐसा नहीं है कि हम गायों की फिक्र नहीं करते हैं लेकिन इन असाधारण समयों में कटौती लागू करनी पड़ी है, लेकिन जल्द ही हम इसे बढ़ाएंगे."
बीजेपी की कथनी और करनी में फर्क: कांग्रेस
गायों के लिए बजट में कटौती के तौर पर विपक्षी पार्टी कांग्रेस को बीजेपी सरकार पर निशाना साधने का मौका मिल गया. कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि बीजेपी सिर्फ वोट पाने के लिए पवित्र गाय का इस्तेमाल करती है. प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा, “उनकी कथनी और करनी में बहुत फर्क है, बजट में कटौती इसका प्रमाण है.’’
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सरकारी सहायता प्राप्त इन गाय आश्रयों में अब गायों को खिलाना मुश्किल हो रहा है. भोपाल में एक गाय आश्रय के प्रबंधक राकेश मालवीय ने कहा, “एक दिन में गाय को एक रुपये में क्या खिलाया जा सकता है? हम आम जनता से मिलने वाले दान पर निर्भर करते हैं लेकिन वह भी आसानी से नहीं आ रहा है.” मालवीय के मुताबिक गाय के लिए चारे का एक ही बंडल पांच रुपये का बैठता है.
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जहां तक कांग्रेस की बात है तो पार्टी ने 2018 विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार करते समय राज्य के प्रत्येक पंचायत में गाय आश्रय खोलने का वादा किया था, लेकिन जब पार्टी सत्ता में आई तो इस वादे को पूरा करने के लिए बहुत कम काम किया गया.
राज्य में गौ रक्षा एक बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है. पिछले कुछ वर्षों के दौरान गाय के नाम पर हिंसा के कई मामले सामने आए हैं लेकिन जब बेघर गायों को सहारा देने के लिए दान करने की बात आती है तो बहुत कम लोग आगे कदम बढ़ाते हैं.