
मध्य प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण के मसले पर घिरी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली प्रदेश सरकार एक्टिव मोड में आ गई है. सीएम शिवराज ने इस मसले पर गुरुवार को एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई थी. सीएम शिवराज सिंह चौहान की ओर से बुलाई गई इस बैठक में ओबीसी के लिए 27 फीसदी आरक्षण से जुड़े सभी पहलुओं पर चर्चा की गई.
इस बैठक में यह भी तय किया गया कि ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण के मसले पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में वरिष्ठ वकील रविशंकर प्रसाद और तुषार मेहता पैरवी करेंगे. ये दोनों वकील मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में प्रदेश सरकार का पक्ष रखेंगे. इस बैठक में ये भी फैसला लिया गया है कि हाईकोर्ट से अपील की जाएगी कि अगली तारीख पर अंतिम हियरिंग मानकर कोर्ट जल्द फैसला सुनाए.
कांग्रेस ने उठाए सवाल
सीएम शिवराज की बैठक में ये फैसला लिए जाने के बाद कांग्रेस ने भी मोर्चा खोल दिया है. कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने इस फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि रविशंकर प्रसाद और तुषार मेहता तो पहले भी वकील थे लेकिन शिवराज सरकार ने बीते 15 महीनों में इनकी सेवाएं क्यों नहीं ली? अब इन्हें बुलाकर क्या सरकार यह मान रही है कि उनके वकीलों ने अभी तक ओबीसी आरक्षण के मसले पर कोर्ट के सामने ठीक से पक्ष नहीं रखा?
गौरतलब है कि हाल ही में ओबीसी अमेंडमेंट बिल संसद से पारित हुआ है. संसद से ये बिल पारित होने के बाद ओबीसी की लिस्ट तैयार करने का अधिकार राज्य सरकारों को मिल गया है. संसद से ये बिल पारित होने के बाद ओबीसी आरक्षण का मसला चर्चा में है.