
सुप्रीम कोर्ट द्वारा ट्रिपल तलाक (तलाक-ए-बिदत) को बैन किए जाने के फैसले का ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपनी समीक्षा बैठक में स्वागत किया है. ये बैठक मध्य प्रदेश के भोपाल में रविवार को हुई, जिसमें पर्सनल लॉ बोर्ड ने कई अहम फैसले करने के साथ-साथ अपनी महिला विरोधी इमेज को तोड़ने और प्रगतिशील छवि बनाने की दिशा में कदम उठाने का फैसला किया.
तीन तलाक के खिलाफ चलाएगा अभियान
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने तीन तलाक को गुनाह का अमल बताते हुए कहा है कि एक साथ तीन तलाक गलत प्रैक्टिस है, लेकिन बोर्ड इसे वैध मानता है. क्योंकि ये इस्लामिक शरियत का हिस्सा है. इस प्रैक्टिस को खत्म करने के लिए समाज में जागरुकता अभियान चलाएगा, ताकि इसकी खामियों से लोग पूरी तरह अवगत हो सकें.
शरियत पर अटैक बर्दाश्त नहीं
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अटॉर्नी जनरल के जरिए जो हलफनामा दायर किया, वह अंसवैधानिक है. बोर्ड ने सरकार के इस कदम पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि मोदी सरकार का रवैया संविधान के खिलाफ है और एक तरह से शरियत पर अटैक है. इसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
गलतफहमी के खिलाफ अभियान
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने फैसला किया है कि शरिया को लेकर जो लोगों में गलतफहमियां हैं, उन्हें दूर करने के लिए बड़े स्तर पर अभियान चलाया जाएगा. बोर्ड ने इसके लिए देश के दूसरे मुस्लिम संगठनों की भी मदद लेने का फैसला किया है.
महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा
मुस्लिम पर्सनल बोर्ड को लगता है कि उसकी इमेज महिला विरोधी बना दी गई है. इसी के मद्देनजर बोर्ड ही अपनी इमेज को प्रगतिशील बनाना चाहता है. मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा के लिए लिए शरियत के दायरे में रहकर पर्सनल लॉ बोर्ड काम करेगा.
तलाकशुदा औरतों के लिए मैकेनिज्म
तलाकशुदा औरतों को किसी तरह की कोई परेशानी न आए इसे लेकर बोर्ड ने एक मैकेनिज्म बनाने का फैसला किया है. पर्सनल लॉ बोर्ड सरकार से मांग करेगा कि राज्यों के वक्फ बोर्ड आर्थिक मदद करें ताकि तलाकशुदा औरतों की जिंदगी को बेहतर बनाने में काम कर सकें.
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपनी भोपाल की समीक्षा बैठक में इस्लामी शरिया की जागरुकता के लिए एक कमेटी गठित की है. ये कमेटी इस्लामी शरिया के लिए जागरुकता अभियान के लिए काम करेगी. इसके अलावा ये कमेटी इस पर मंथन करेगी कि ट्रिपल तलाक पर सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला है वह इस्लाम के उसूलों से टकरा तो नहीं रहा है.