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भोपाल गैस कांड : पेंशन दो शिवराज सरकार, 18 महीने से 5000 विधवाएं लगा रहीं गुहार

इंदिरा रावत के पति भोपाल गैस त्रासदी पीड़ित थे. उनकी मौत कैंसर की वजह से हुई थी. पति की मौत के बाद इंदिरा पर अपने दिव्यांग बेटे और विधवा बेटी के भरण-पोषण की जिम्मेदारी है. वह घरेलू कामकाज और कपड़े सिलकर अपने परिवार को पालती हैं.

पेंशन के लिए सरकार से गुहार (फोटो- आजतक) पेंशन के लिए सरकार से गुहार (फोटो- आजतक)
हेमेंद्र शर्मा
  • भोपाल,
  • 30 जून 2021,
  • अपडेटेड 12:52 AM IST
  • पेंशन बंद होने से विधवा महिलाएं परेशान
  • कोरोना काल में रोजगार के भी लाले

भोपाल गैस कांड की वजह से विधवा हुई महिलाएं, पेंशन बंद होने से परेशान है. उनको मिलने वाली 1000 रुपये की पेंशन राशि पिछले 18 महीनों से नहीं मिली है. भोपाल गैस कांड राहत एवं पुनर्वास से जुड़े मामलों के मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि गैस पीड़ित महिलाओं को बीजेपी के वक्त पेंशन मिलती थी. लेकिन कमलनाथ सरकार के दौरान इसे रोक दिया गया. इसे जल्द ही दोबारा शुरू किया जाएगा. हालांकि सारंग इससे पहले भी कई बार यह आश्वासन दे चुके हैं. लेकिन इस दिशा में अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है. 

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मध्यप्रदेश सरकार ने साल 2016 के अप्रैल माह से नवम्बर 2017 तक पीड़ित विधवा महिलाओं का गुजारा पेंशन बंद कर दिया था. बाद में सरकार ने इसे दिसम्बर 2017 से फिर शुरू कर दिया था. लेकिन पिछले 18 महीनों से यह बंद है. 

भोपाल गैस त्रासदी में 5000 महिलाएं विधवा हो गई थीं. इंदिरा रावत भी उन्हीं महिलाओं में से एक हैं. ये भी अन्य भोपाल गैस पीड़ित विधवा महिला की तरह पेंशन पाने के लिए प्रदर्शन कर रही हैं. इंदिरा रावत के पति भोपाल गैस त्रासदी पीड़ित थे. उनकी मौत कैंसर की वजह से हुई थी. पति की मौत के बाद इंदिरा पर अपने दिव्यांग बेटे और विधवा बेटी के भरण-पोषण की जिम्मेदारी है. वह घरेलू कामकाज और कपड़े सिलकर अपने परिवार को पालती हैं. 

आजतक से बात करते हुए इंदिरा रावत ने कहा कि परिवार की देखभाल करने वाला कोई नहीं है. मेरा बेटा दिव्यांग है. मेरी विधवा बेटी भी मेरे साथ ही रहती है. मेरी आंखे भी कमजोर हो रही हैं. बूढ़ी आंखों से अब सिलाई का भी काम नहीं होता. इसके अलावा आजकल और कोई कामकाज भी नहीं मिल रहा है. मेरे पास परिवार की देखभाल के लिए अब कोई और रास्ता नहीं है. इंदिरा रावत अपनी दुर्दशा बताते हुए बिलख कर रोने लगी.

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और पढ़ें- भोपाल गैस कांडः 36 साल पहले की वो भयावह रात, जिसने लील ली हजारों जिंदगी

भोपाल गैस त्रासदी की मारी और ना जाने कितनी ही विधवा महिलाएं हैं. जो पेंशन पाने के लिए पिछले 18 महीने से लगातार प्रदर्शन कर रही हैं. लेकिन उन्हें अब तक सिर्फ आश्वासन मिला है.  

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इमरती बाई कुशवाहा भी उन्हीं महिलाओं में से एक हैं. उनकी चार बेटी और एक बेटा है. कोरोना काल से पहले ये लोग छोटे मोटे काम और मजदूरी कर पैसा कमाते थे. इसके अलावा पेंशन के पैसे उनके जीवन का बड़ा सहारा था. लेकिन दिसंबर से पेंशन के पैसे भी नहीं मिल रहे और कोरोना काल में कोई कामकाज भी नहीं मिल रहा. इमरती बाई कहती हैं शिवराज सरकार पिछले एक सालों  से कह रही है कि फिर से पेंशन दी जाएगी. लेकिन अब तक इसे शुरू नहीं किया गया है. ऐसा लगता है कि सरकार भी अब हमारी तकलीफों पर ध्यान नहीं दे रही है.

 

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