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शिवराज सरकार धर्मविरोधी, इसलिए छोड़ दिया मंत्री का दर्जा: कंप्यूटर बाबा

कंप्यूटर बाबा ने कहा कि चुनाव नजदीक है इसलिए नर्मदा और मंदिर की बात हो रही है लेकिन संत समाज समझ गया है कि यह सरकार मंदिर और नर्मदा के लिए कुछ नहीं करने वाली.

कंप्यूटर बाबा (फोटो-आजतक आर्काइव) कंप्यूटर बाबा (फोटो-आजतक आर्काइव)
रविकांत सिंह
  • भोपाल,
  • 12 अक्टूबर 2018,
  • अपडेटेड 4:21 PM IST

पंचायत आजतक के तीसरे सत्र 'नर्मदा के नाम पर' में  महामंडलेश्वर कम्प्यूटर बाबा, धर्मगुरु, स्वामी नवीनानंद सरस्वती, धर्मगुरु खंडेश्वर महाराज, धर्मगुरु महामंडलेश्वर रामकृपाल दास, धर्मगुरु महामंडलेश्वर नरसिंह दास, और परमहंस डॉ. अवधेश जी महाराज ने शिरकत की. इस सत्र का संचालन श्वेता सिंह ने किया.

इस सत्र के दौरान कंम्प्यूटर बाबा ने कहा कि सरकार में शामिल होने से पहले उन्होंने नर्मदा को स्वच्छ करने, मठ-मंदिरों को सुरक्षित करने, पेड़-पौधे लगाने और नर्मदा के अवैध खनन को रोकने की शर्त रखी लेकिन 6 महीने के कार्यकाल के बाद मुख्यमंत्री शिवराज इन वादों पर ध्यान नहीं दिया. मुख्यमंत्री से इन शर्तों पर बात करने पर उनकी दलील थी कि अब राज्य में चुनाव नजदीक हैं लिहाजा ऐसे मुद्दों पर फैसला लेना मुश्किल है. इसलिए कंम्प्यूटर बाबा ने दावा किया कि उन्होंने इस्तीफा देने का फैसला लिया.

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कप्यूटर बाबा ने कहा, शिवराज सरकार को मध्य प्रदेश में राज करते-करते 15 वर्ष हो गए. इन्होंने संतों को ऐसे मढ़ दिया है कि संतों के बारे में कहा जाता है कि वे बीजेपी के हैं, आरएसएस के हैं. चित्रकूट में संतों की 100 झोपड़ियां तोड़ दी गईं. संत समाज इस सरकार से बेहद दुखी है. हमलोगों ने देख लिया कि यह अधर्म की सरकार है. इसमें धर्म नाम की कोई चीज नहीं है.

कंप्यूटर बाबा ने आगे कहा, अब चुनाव आ गया तो फिर मंदिर बनाएंगे. हम बाबाओं को फिर इकट्ठा करेंगे लेकिन बाबा अब संभल गए हैं. साधु सनातन समझ गए हैं कि ये हमें मूर्ख बनाते हैं. यह सरकार मंदिर बनाने वाली नहीं है. नर्मदा के नाम से, गऊ के नाम से रोटी सेंकेंगे. जीत जाएंगे तो फिर संतों की तरफ देखेंगे भी नहीं.

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