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भोपाल: PM मोदी ने किया कमलापति रेलवे स्टेशन का उद्घाटन, 2 साल में 75 वंदे भारत ट्रेनें चलाने का ऐलान

जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भोपाल के विश्व स्तरीय रानी कमलापति रेलवे स्टेशन का उद्घाटन किया. पीएम मोदी ने कहा कि भोपाल के इस स्टेशन का सिर्फ कायाकल्प ही नहीं हुआ है बल्कि रानी कमलापति का नाम इससे जुड़ने से इसका महत्व और बढ़ गया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
रवीश पाल सिंह
  • भोपाल ,
  • 15 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 4:55 PM IST
  • रेलवे स्टेशन के रूप में देश का पहला ISO सर्टिफाइड
  • पीएम बोले- बिजलीकरण की रफ्तार भी पांच गुना से अधिक

जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भोपाल के विश्व स्तरीय रानी कमलापति रेलवे स्टेशन का उद्घाटन किया. इस मौके पर अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि आज पूरे मध्य प्रदेश के लिए गौरव का दिन है. भारतीय रेल का भविष्य कितना आधुनिक और उज्वल है, उसका प्रतीक भोपाल का ये रेलवे स्टेशन है

भोपाल के इस स्टेशन का सिर्फ कायाकल्प ही नहीं हुआ है बल्कि रानी कमलापति का नाम इससे जुड़ने से इसका महत्व और बढ़ गया है. गोंडवाना का रेलवे से जुड़ना यादगार है. भारत कैसे बदल रहा है. आगे बढ़ रहा है, इसका उत्तम उदाहरण भारतीय रेल है.

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पीएम ने कहा कि 6 वर्ष पहले तक जिसका भी पाला भारतीय रेलवे से पड़ता था वो भारतीय रेल को कोसते हुए जाता नजर आता था. आज रानी कमलापति रेलवे स्टेशन के रूप में देश का पहला ISO सर्टिफाइड देश का पहला पीपीपी मॉडल आधारित रेलवे स्टेशन देश को समर्पित किया गया है. जो सुविधाएं कभी एयरपोर्ट में मिला करती थीं, वो आज रेलवे स्टेशन में मिल रही हैं. 

पीएम मोदी ने कहा कि रेलवे स्टेशन के पूरे ईको सिस्टम को इसी प्रकार ट्रांसफार्म करने के लिए आज देश के 175 से अधिक रेलवे स्टेशनों का कायाकल्प किया जा रहा है. आत्मनिर्भर भारत के संकल्प के साथ आज भारत आने वाले वर्षों के लिए खुद को तैयार कर रहा है और बड़े लक्ष्यों पर काम कर रहा है.

प्रीमियम क्लब तक ही सीमित रखा गया

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प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले रेलवे को टूरिज्म के लिए अगर उपयोग किया भी गया तो उसको एक प्रीमियम क्लब तक ही सीमित रखा गया. पहली बार सामान्य मानवी को उचित राशि पर पर्यटन और तीर्थाटन का दिव्य अनुभव दिया जा रहा है. रामायण सर्किट ट्रेन ऐसा ही एक अभिनव प्रयास है. पीएम ने कहा कि बीते 7 वर्षों में हर वर्ष औसतन 2,500 किमी ट्रैक कमीशन किया गया है, जबकि उससे पहले के वर्षों में ये 1,500 किमी के आस-पास ही होता था. पहले की तुलना में इन वर्षों में रेलवे ट्रैक के बिजलीकरण की रफ्तार भी पांच गुना से अधिक हुई है. 

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