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Hijab विवाद में कूदीं साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, कहा- भारत में हिजाब पहनने की जरूरत नहीं

भोपाल में एक कार्यक्रम के दौरान, साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने शिक्षण संस्थानों में हिजाब पहनने पर आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा है कि भारत में हिजाब पहनने की आवश्यकता नहीं है, हिजाब तो घर में पहनना चाहिए. 

साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने हिजाब विवाद पर दिया बयान (फाइल फोटो) साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने हिजाब विवाद पर दिया बयान (फाइल फोटो)
रवीश पाल सिंह
  • भोपाल,
  • 16 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 11:39 PM IST
  • साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर बोलीं 'घर मे हिजाब पहनो, विद्यालयों में नहीं'
  • सनातन महापंचायत कार्यक्रम में दिया बयान 

भोपाल की सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर (Sadhvi Pragya Singh Thakur) भी हिजाब विवाद में कूद गईं हैं. बुधवार को भोपाल में सनातन महापंचायत कार्यक्रम के दौरान, साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने शिक्षण संस्थानों में हिजाब पहनने पर आपत्ति जताई है. 

'हिजाब तो तुम्हें घर में पहनना चाहिए'

साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कहा, 'सीधी सी बात है. खिजाब लगाया जाता है सफेदी को मिटाने के लिए, बुढ़ापा छुपाने और जवान दिखने के लिए. हिजाब का अर्थ होता है अपना चेहरा छुपाना और मुझे लगता है कि हिजाब चेहरे पर डालना चाहिए और डालकर निकलना चाहिए. क्यों? किससे डर? किससे पर्दा. पर्दा उससे करना चाहिए, जो हमारी तरफ कुदृष्टि रखता है. तो एक बात तो स्पष्ट है कि हिंदू कुदृष्टि नहीं रखते. यह सनातन की संस्कृति है कि हमारे यहां नारी की पूजा की जाती है. जहां नारी का स्थान सर्वोपरि है वहां हिजाब पहनने की जरूरत है क्या इस देश में? भारत में हिजाब पहनने की आवश्यकता नहीं है, अरे हिजाब तो तुम्हें घर में पहनना चाहिए.' 

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'उल्टा करोगे तो उल्टा ही होगा' 

साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कहा, 'हिंदुओं के घरों में तो मां को पूजा जाता है और स्त्री की भी पूजा होती है. परंतु जिनके घरों में बहन का नाता नहीं है जिनके घरों में बुआ की लड़की, मौसी की लड़की, पहले पिता की पहले बीवी की लड़की सब से शादी कर सकते हैं, तो हिजाब तुम्हें घर में पहनना चाहिए. जहां हिजाब पहनना है वहां खिजाब लगा कर रखेंगे. उल्टा करोगे तो उल्टा ही होगा' 

'जहां का जो अनुशासन है, वो अनुशासन अपनाइए'

साध्वी ने आगे कहा, 'भारत में कुछ चीजों की एक परिभाषा होनी चाहिए. हमारे गुरुकुल होते हैं, उसकी एक वेशभूषा होती है, एक नियम होता है, एक संयम होता है और उसका एक अनुशासन होता है. हम गुरुकुल में जाते हैं, तो बच्चे अचला पहनेंगे, गुरु जी कुर्ता पहनेंगे. शिक्षार्थी पीला या भगवा वस्त्र पहनेंगे. जो वहां का अनुशासन है हम उसे मानते हैं. लेकिन भाई विद्यार्थी जब स्कूल में जाते हैं, तो वह पहनते हैं जो वहां की वेशभूषा होती है. तो जहां का जो अनुशासन है, वो अनुशासन अपनाइए.' उन्होंने आगे कहा कि आपके मदरसे होते हैं, आप मदरसों में हिजाब लगाएं खिजाब लगाएं, या कुछ और करें हमें क्या मतलब है. लेकिन आप अगर बाकी पूरे देश के जितने विद्यालय हैं, महाविद्यालय हैं उनका अनुशासन बिगाड़ेंगे, ज्ञान में अगर हिजाब-खिजाब चलाने लगेंगे तो यह बर्दाश्त नहीं होगा.'

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