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MP: कंप्यूटर बाबा के 'अवैध निर्माण' पर चला बुलडोजर, कभी शिवराज ने दिया था राज्यमंत्री का दर्जा

हाल ही में हुए मध्य प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव में भी कंप्यूटर बाबा ने कांग्रेस के पक्ष में प्रचार किया था और पूरे चुनाव प्रचार के दौरान शिवराज सरकार पर जमकर हमला साधा था.

मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ के साथ कंप्यूटर बाबा मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ के साथ कंप्यूटर बाबा
रवीश पाल सिंह
  • भोपाल,
  • 08 नवंबर 2020,
  • अपडेटेड 10:40 AM IST
  • प्रशासन ने हटाया कंप्यूटर बाबा का अतिक्रमण
  • एमपी में बीजेपी सरकार में मिला था राज्यमंत्री का दर्जा
  • बाद में कांग्रेस के पक्ष में किया था चुनाव प्रचार

मध्य प्रदेश के इंदौर में रविवार सुबह सुबह जिला प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई करते हुए ग्राम जमूडीहब्शी में नामदेव दास त्यागी (कंप्यूटर बाबा ) द्वारा किया गया अतिक्रमण हटाया है. कलेक्टर मनीष सिंह के निर्देशन में ADM अजय देव शर्मा और अन्य SDM तथा पुलिस अधिकारियों की टीम आज सुबह से एक्शन में है. 

वहीं, प्रिवेंटिव डिटेंशन के तहत कंप्यूटर बाबा को पुलिस ने हिरासत में लिया है और सेंट्रल जेल भेजे जाने की कार्यवाही की जा रही है. बड़ी संख्या में पुलिस बल भी मौके पर मौजूद है. गांधीनगर पुलिस थाना क्षेत्र के अंतर्गत यह कार्रवाई चल रही है. कंप्यूटर बाबा को 2018 में तत्कालीन शिवराज सरकार में राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया था. लेकिन 2018 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उन्होंने कांग्रेस का साथ देने का मन बनाया और पद से इस्तीफा देने के बाद विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए प्रचार किया था.

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मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने के बाद कंप्यूटर बाबा को इसका तोहफा भी मिला और तत्कालीन कमलनाथ सरकार में उन्हें नर्मदा-क्षिप्रा नदी न्यास का अध्यक्ष बनाया गया था.

कंप्यूटर बाबा की संपत्ति पर चला बुलडोजर

हाल ही में हुए मध्य प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव में भी कंप्यूटर बाबा ने कांग्रेस के पक्ष में प्रचार किया था और पूरे चुनाव प्रचार के दौरान शिवराज सरकार पर जमकर हमला साधा था. बीते करीब 2 साल से कंप्यूटर बाबा ने उसी भारतीय जनता पार्टी पर जमकर हमला बोला जिसकी सरकार में पहली बार उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया था.

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हाल ही में मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में फ्रांस के राष्ट्रपति के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद की संपत्ति पर भी भोपाल प्रशासन ने कार्रवाई की थी और उनके निजी कॉलेज की जमीन पर हुए अतिक्रमण को हटा दिया था.

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