
India Today के ईवेंट State of the States Madhya Pradesh की शुरुआत शनिवार भोपाल से हुई. इस कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत कई दिग्गज नेताओं ने हिस्सा लिया. मध्य प्रदेश 550 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था कैसे हासिल करेगा इसपर चर्चा करने के लिए मध्य प्रदेश के नीति एवं योजना आयोग के उपाध्यक्ष, सचिन चतुर्वेदी ने शिरकत की.
उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में फोकस संस्थाओं पर है. अगर अच्छी संस्थाएं होंगी तो विकास होगा. मध्यप्रदेश को एक बड़े ईकोसिसिटम की ज़रूरत है. हमारा 50 प्रतिशत काम तो तभी हो जाता है जब आपके पास अच्छे इंस्सिटियूशंस हों. हमने इस 550 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था के रोड मैप पर सबसे पहले इन संस्थाओं को देखा और इसके साथ मिलकार सही रणनीति बनाई.
संस्थानों को इंडस्ट्रियल यूनिट से कनेक्ट करना होगा
उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थाएं किस तरह काम कर रही हैं ये जानना भी जरूरी है. हैदराबाद में काम करने वाले 60-70 प्रतिशत स्टार्ट अप वहां बसे हुए साइंस इंस्टिट्यूट पर निर्भर हैं, लेकिन मध्यप्रदेश में ऐसे कोई इंस्टिट्यूट नहीं हैं. फिर हमने पता लगाया कि भोपाल में 4 बड़े इंस्टिट्यूट हैं जबकि इंदौर में इंडस्ट्रियल यूनिट हैं. तो अगर कुछ बेहतर करना है तो इन दोनों को जोड़ा जाना चाहिए. यहां स्कूल ऑफ गवर्नेंस है जिसे हम पहली बार प्लानिंग प्रोसेस के साथ जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. यह इंस्टिट्यूट है अटल बिहारी वाजपाई इंस्टिटियूट ऑफ गुड गवर्नेंस, जो 2007 में बना था. इसके लिए संस्थाओं में PHD प्रोग्राम्स के लिए ओपन एग्ज़ाम करवाने चाहिए, जिससे अच्छी एकेडेमिक क्वालिटी हमें मिले.
3 सालों में 5-6 बिलियन डॉलर की उम्मीद
रोडमैप का दूसरा हिस्सा है ज्ञान. हमारा गणित यह है कि अगर मध्य प्रदेश सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री या बायो इकोनॉमी में जाता है, तो आर्थिक विकास की संभावना दर 1:4 होगी. अभी जो 280 मिलियन डॉलर है, इसे अगले 3 सालों में 5-6 बिलियन डॉलर की उम्मीद करते हैं. और इसके लिए इन संस्थाओं का शिक्षण संस्थाओं का होना बहुत ज़रूरी है.
उन्होंने कहा कि 550 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छे संस्थान, वित्तीय विस्तार, नवाचार प्रणाली और वित्त पोषण सबसे ज्यादा जरूरी है. उन्होंने कहा कि 2014 तक देश के 6 राज्य टोटल क्रेडिट क्रिएशन में 80 प्रतिशत योगदान दे रहे थे. 2021 तक इनके शेयर 80 से 71 प्रतिशत पर आ गए. इसमें ज्यादा से ज्यादा राज्यों को सामने आना होगा और मध्यप्रदेश में वह संभावना है.
मध्यप्रदेश का एक्सपोर्ट 7 बिलियन डॉलर का
नीति एवं योजना आयोग के उपाध्यक्ष, सचिन चतुर्वेदी ने बताया कि इस वक्त मध्यप्रदेश का एक्सपोर्ट 7 बिलियन डॉलर का है. लेकिन इस राज्य के साथ चैलेंज यह है कि यहां ऐसा कोई एजेंसी नहीं जो ट्रेड या एक्सपोर्ट के लिए पूरी तरह से समर्पित हो. लेकिन इसके लिए हमें केंद्र सरकार से सहयोग मिल रहा है.
उन्होंने कहा कि हम आने वाले समय में विनिर्माण विस्तार पर ध्यान दे रहे हैं. हम विभागों के साथ मिलकर इसको बढ़ाने पर बात कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि आसपास के राज्य मध्यप्रदेश को प्रोडक्शन सेंटर की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं. हमारे यहां की केले की फसल को मुंबई के जरिए एक्सपोर्ट कया जाता है, ये फर्म मुबई में रजिस्टर्ड हैं, मध्यप्रदेश में रजिस्टर्ड नहीं हैं. इसलिए हमें यहां थोड़ी परेशानी आ रही है. उन्होंने कहा कि मेडिसिनल और एरोमैटिक प्लांट की बात करें, तो भारत के आयुष प्रोडक्ट्स में रॉ मैटरियल में हमारा शेयर 40 से 90 प्रतिशत बढ़ गया है.